देश का एक गांव ऐसा भी: न बिजली…न फोन..(no phone…)

चंपावत: भारत में करीब 2 दशक पहले संचार क्रांति हो चुकी है और आज 5जी कनेक्टिविटी का युग आरंभ हो चुका है. लेकिन, देश का एक गांव ऐसा भी है जिसके लिए सूचना और संचार क्रांति (no phone…) बहुत दूर की कौड़ी है. यहां के रहवासियों के लिए रेडियो ही बाहरी दुनिया से जुड़ने का एकमात्र साधन है, जो 7 वर्ष पहले ही गांव में आया है. उत्तराखंड के चंपावत जिले के सुदूर खिरद्वारी गांव में रहने वाले आदिम वन रावत जनजाति के एक 65 वर्षीय सदस्य ने 2015 में, चल्थी के निकटतम बाजार तक पहुंचने के लिए लगभग 18 किमी की पैदल यात्रा की और एक रेडियो ट्रांजिस्टर खरीदा.
इसके साथ ही उन्होंने अपने गांव के लिए सदियों के अलगाव को समाप्त कर दिया और दुनिया के करीब ला दिया. वर्षों बाद, वही एक रेडियो ट्रांजिस्टर खिरद्वारी गांव में रहने वाले वन रावत जनजाति के लगभग 200 सदस्यों के लिए बाहरी दुनिया से जुड़े रहने का एकमात्र माध्यम बना हुआ है. द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक रघुवीर सिंह (जो अब 80 वर्ष के हैं) ने कहा, मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि जिस दिन मुझे यह रेडियो मिला था, वह एक मेरे और गांव के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था. यद्यपि मैं बहुत अधिक शिक्षित नहीं हूं, लेकिन मुझे समसामयिक घटनाओं से अवगत रहना अच्छा लगता है.
रघुवीर सिंह ने आगे बताया, जैसे ही मैंने उस दिन स्थानीय स्टेशन पर ट्यून किया, लोगों में उत्साह की एक लहर दौड़ गई. दैनिक बुलेटिन सुनने के लिए गांव के लोग एक जगह इकट्ठा होने लगे. इस बीच, यह बात फैल गई और तब से फिर, मेरा घर उन ग्रामीणों के लिए एक पसंदीदा अड्डा बन गया, जो यहां क्षेत्रीय और राष्ट्रीय समाचार सुनने के लिए इकट्ठा होते हैं. वस्तुतः समाज से कटा हुआ, खिरद्वारी गांव निकटतम सड़क से लगभग 20 किमी दूर स्थित है, और न तो यहां बिजली है और न ही कोई सार्वजनिक वितरण दुकान या स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा है. गांव के लोग आसपास के गांवों में मजदूरी कर अपना गुजारा करते हैं.
‘यहां तक कि सरकार प्रौद्योगिकी संचालित विकास और डिजिटल क्रांति की बात करती है, हमारे पास फोन कनेक्शन भी नहीं है, इंटरनेट कनेक्टिविटी तो दूर की बात है. इसके अलावा, बिजली की आपूर्ति नहीं है, हम अपने घरों को रोशन करने के लिए तेल के लैंप का उपयोग करते हैं.’ टनकपुर के एसडीएम हिमांशु काफाल्टिया ने कहा, ‘जिला प्रशासन ने सरकार को बीएसएनएल का टावर लगाने और गांव में बिजली की उचित आपूर्ति के लिए प्रस्ताव भेजा है.’