कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश कर रहे राहुल गांधी(Rahul Gandhi )

अहमदाबाद. चुनाव की सरगर्मियों के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi ) गुजरात में कांग्रेस में नई जान फूंकने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन इस बार उनका जोश और जज्बा साल 2017 से कम ही दिखाई दे रहा है. क्योंकि, इस बार पिछली बार से बहुत कुछ बदल चुका है. इतना ही नहीं, उनके भाषणों का पूर्वानुमान लगाना भी इस बार आसान लग रहा था. ये अनुमान लगाना सहज था कि वे कॉर्पोरेट घरानों और बीजेपी की विभाजन की राजनीति पर बोलेंगे.
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की और उसका उद्देश्य बताते हुए चुनाव प्रचार से पूरी तरह दूर रहे. वह हिमाचल प्रदेश में भी प्रचार करने से बचे और यात्रा पर ध्यान दिया. लेकिन, जैसे ही गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रवेश हुआ, वैसे ही राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव को लेकर प्रचार शुरू कर दिया.
कई नेता छोड़ गए साथ
साल 2017 के मुकाबले इस बार उनका जोश और जज्बा कम होने की कई वजह हैं. इनमें से एक है कई नेताओं का कांग्रेस को छोड़ देना. या तो उनके नेता बीजेपी में चले गए या उन्होंने आप का दामन थाम लिया. पार्टी के कई नेता कैंपेन का तरह-तरह से प्रचार कर रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी नीति अस्पष्ट हो गई. साल 2017 में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी की तिकड़ी राहुल गांधी के साथ खड़ी थी. राहुल गांधी ने तीनों को ‘त्रिदेव’ की संज्ञा दी थी. ये तिकड़ी इस चुनाव में कहीं नहीं है. उन्होंने साल 2017 के चुनाव में जबरदस्त जोश भर दिया था. इनमें से दो नेता तो अब कांग्रेस का साथ ही छोड़ चुके हैं.
राहुल ने पीएम पर नहीं किया हमला
चुनावी प्रचार-प्रसार के बीच गौर करने लायक बात यह भी है कि इस बार राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निजी हमला नहीं किया. उन्होंने इससे पूरी तरह दूरी बनाई. राहुल ने कहीं उनका नाम भी नहीं लिया. उन्होंने जो भी जुबानी हमले किए वह बीजेपी पर किए. उन्होंने बीजेपी पर लोगों का ख्याल न रखने और बेरोजगारी को प्रोत्साहित करने के आरोप लगाए. उन्होंने बिजनेस के लिए मशहूर सूरत जैसे शहरों में जीएसटी और नोटबंदी के मामले उठाए.
इससे सबक सीखी कांग्रेस
साल 2007 में सोनिया गांधी ने पीएम मोदी के लिए ‘मौत का सौदागर’ शब्द का इस्तेमाल किया था. उसके बाद से कांग्रेस को अहसास हो गया कि इस तरह के हमले पीएम मोदी की मदद करते हैं. उन्हें नीच कहना या औकात बताना जैसे शब्द बीजेपी की मदद करते हैं. इसलिए राहुल गांधी ने इस बार अपनी यात्रा में भी पीएम मोदी का नाम नहीं लिया. इसलिए यात्रा और पीएम के बारे में बोलने का जिम्मा वरिष्ठ नेता जयराम रमेश को दे दिया गया.