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90 के दशक में CM के पास सीधे जाता था पुलिस भर्ती का पैसा: XCLUSIVE

लखनऊ.पूर्व डीजीपी महेश चंद्र दि्वेदी ने खुलासा किया है कि 90 के दशक में पुलिस भर्ती की लिस्‍ट खुद सीएम तय करते थे। यही नहीं, पैसा भी सीधे उन्‍हीं के पास जाता था। सीएम ही तय करते थे कि किसकी पोस्‍टिंग कहां होगी। यही वजह है कि बहुत से पुलिस में वो लोग भर्ती हो गए, जिनका खुद का क्रिमिनल रिकॉर्ड है। ये खुलासा उन्‍होंने vicharsuchak.com से खास बातचीत में कही। आगे पढ़िए और क्‍या कहा पूर्व डीजीपी ने…
उन्‍होंने कहा कि हालांकि, पहले सीएम और मंत्री स्तर के लोग अधिकारियों की इज्जत देते थे। अगर कोई पोस्टिंग और ट्रांसफर होता था तो कॉन्फिडेंस में लेकर किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता है।
अब सिर्फ सीएम और मंत्रियों की चलती है
-पूर्व डीजीपी ने कहा कि ट्रांसफर-पोस्‍टिंग में अब पूरी तरह से राजनीतिक दबाव होता है और सीएम और मंत्रियों की ही चलती है।
-खासकर हायर लेवल पर राजनीतिज्ञों का ज्यादा हस्तक्षेप होता है।
-दूसरी ओर, हमें आए दिन सीएम मंत्रियों से काम पड़ता रहता है, इसलिए उनसे लड़ भी नहीं सकते हैं।
चुनाव के दौरान सत्‍ताधारी पार्टी करती है पोस्‍टिंग की प्‍लानिंग
-पूर्व डीजीपी ने बताया कि जब चुनाव होते हैं तो सत्‍ताधारी पार्टी पूरी तरह से पोस्टिंग के लिए प्लानिंग करती है कि किसको कहां पर पोस्टेड करना है।
-इन पोस्टिंग में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि किसकी पोस्टिंग से वोट मिलने में कितना फायदा हो सकता है।
-फर्जी वोटिंग भी बहुत से लोग पहले करा देते थे। हालांकि, सीआरपीएफ की तैनाती के बाद इसमें काफी रोक लगी है।

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