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9 साल बाद PAK को 100 Cr डॉलर से कम मदद देगा US, तालिबान को सपोर्ट करने का आरोप: भारत से बढ़ते रिश्तों का असर
वॉशिंगटन.अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मिलिट्री-इकोनॉमिक मदद में भारी कटौती की है। इसे भारत-यूएस के मजबूत रिश्तों का असर भी कहा जा रहा है। बता दें कि अमेरिका ने 2011 में पाक को 350 करोड़ डॉलर की मदद की थी। 2016 में रह 100 करोड़ डॉलर से भी कम रहेगी। पांच साल में यह मदद 70% तक घट गई। वहीं, 2007 के बाद 100 करोड़ से कम मदद देने का यह पहला मौका होगा। अमेरिका का कहना है कि पाक तालिबान को सपोर्ट कर रहा है। इसी वजह से मदद में कटौती की गई है। 2007 के बाद पहला मौका जब यूएस ने की 100 करोड़ डॉलर से कम मदद…
– अमेरिकी सरकारी डाटा के मुताबिक, 2011 में अमेरिका ने सबसे ज्यादा 350 करोड़ डॉलर (करीब 2346 करोड़ रु.) की मदद की थी। 2016 में इसके 100 करोड़ डॉलर (करीब 670 करोड़ रु.) से भी कम रहने का अनुमान जताया गया है। 2007 के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को हर साल 100 करोड़ डॉलर कम की मदद नहीं की थी।
– अमेरिका के मदद की रकम करने से पाक अफसरों में खलबली मच गई है।
– मदद में कमी की वजह अफगानिस्तान में तालिबान को लगातार सपोर्ट करने को बताया जा रहा है। इसके चलते वहां अमेरिकी और नाटो फौजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
थिंक टैंक ने कहा- यूएस ने पाक से दूरी बढ़ाई
– अमेरिकी थिंक टैंक माने जाने वाले वुडरो विल्सन सेंटर के साउथ एशिया मामलों के एक्सपर्ट माइकल कुगलमैन के मुताबिक, ‘हमने साउथ एशिया को लेकर बनाई अपनी पॉलिसी में बदलाव किया है। अब हमने अफगानिस्तान-पाकिस्तान से दूरी बनाई है लेकिन भारत से रिलेशन और मजबूत हुए हैं।’
– एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि पाकिस्तान ने अमेरिका से साथ अपने रिलेशन मर्जी से चलाए और भरोसा खोते रहे।
– एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि पाकिस्तान ने अमेरिका से साथ अपने रिलेशन मर्जी से चलाए और भरोसा खोते रहे।
तालिबान को पाक सपोर्ट से यूएस मिलिट्री में फ्रस्ट्रेशन
– पाकिस्तान का लगातार तालिबान को सपोर्ट किया जाना अमेरिकी मिलिट्री और इंटेलिजेंस में फ्रस्ट्रेशन का कारण बना है।
– ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन ने अफगानिस्तान में और मिलिट्री बढ़ाए जाने को लेकर कोई खास रुचि नहीं दिखाई है।
– ओबामा ने पिछले महीने कहा था कि वे इस साल के आखिर तक अफगानिस्तान में केवल 8,400 सोल्जर रखेंगे।
– यूएस अफसरों का कहना है कि अमेरिका-पाक के बिगड़ते रिलेशन का फायदा चीन उठा सकता है।
– पाकिस्तान का लगातार तालिबान को सपोर्ट किया जाना अमेरिकी मिलिट्री और इंटेलिजेंस में फ्रस्ट्रेशन का कारण बना है।
– ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन ने अफगानिस्तान में और मिलिट्री बढ़ाए जाने को लेकर कोई खास रुचि नहीं दिखाई है।
– ओबामा ने पिछले महीने कहा था कि वे इस साल के आखिर तक अफगानिस्तान में केवल 8,400 सोल्जर रखेंगे।
– यूएस अफसरों का कहना है कि अमेरिका-पाक के बिगड़ते रिलेशन का फायदा चीन उठा सकता है।
अमेरिका ने कहा- करोड़ों डॉलर लुटाए लेकिन अब नहीं
– एक अमेरिकी अफसर ने कहा, ‘टेररिज्म के खिलाफ वॉर में हम करोड़ों डॉलर बर्बाद कर चुके हैं। हमने पाकिस्तान को जितना दिया, वो काफी ज्यादा था। उसे अब कई अन्य सोर्स जैसे चीन से मदद मिल रही है।’
– बता दें कि पिछले साल चीन-पाकिस्तान ने 460 करोड़ डॉलर का एनर्जी और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लॉन्च किया था।
– बता दें कि पिछले साल चीन-पाकिस्तान ने 460 करोड़ डॉलर का एनर्जी और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लॉन्च किया था।
अमेरिका की भारत से नजदीकियां बढ़ीं
– बीते महीनों में भारत की अमेरिका से नजदीकी बढ़ी है।
– बराक ओबामा, नरेंद्र मोदी एकदूसरे को कई मौकों पर अपना दोस्त बता चुके हैं।
– न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की एंट्री को लेकर अमेरिका खुले तौर पर सपोर्ट में आया था।
– यूएस प्रेसिडेंशियल कैम्पेन के तहत ओबामा के एक वीडियो में भी मोदी नजर आए थे।