अंतराष्ट्रीय

भारत-चीन ने खारिज किया पहला मसौदा

ग्लासगो. ब्रिटेन के ग्लासगो में जलवायु को लेकर जारी कॉन्फ्रेंस को खत्म होने में थोड़ा ही समय बाकी है. इसी बीच भारत और चीन समेत कई विकासशील देशों ने संभावित समझौते के पहले ड्राफ्ट को खारिज कर दिया है. एसवीए समूह कहे जा रहे इन देशों का कहना है कि विकसित देश अपनी जिम्मेदारियों को बाकी दुनिया पर डालना और नए नियम लागू करना चाह रहे हैं. समूह ने मसौदे में शामिल प्रभाव को कम करने वाले सेक्शन में संशोधन किए जाने की मांग की है.

खुद को लाइक माइंडेड डेवलपिंग कंट्रीज कहने वाले इस समूह में बांग्लादेश, श्रीलंका, ईरान, इंडोनेशिया, मलेशिया समेत कई अन्य देश शामिल हैं. समझौते का पहला मसौदा बुधवार को सुबह सामने आया. इसके एक खास सेक्शन में 20 पैराग्राफ थे, जिसमें 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने की बात पर जोर दिया गया था. खास बात यह है कि सभी की तरफ से सहमति हासिल करने से पहले मसौदा कई बार संशोधित होता है. हालांकि, गुरुवार को इससे जुड़ा कोई नया ड्राफ्ट सामने नहीं आया. जबकि, उम्मीद की जा रही थी कि देर रात तक नया मसौदा जारी हो सकता है.

LMDC समूह की तरफ से बात कर रहे बोलिविया के मुख्य वार्ताकार डिएगो पाचेको ने गुरुवार को इसे ‘नया कार्बन उपनिवेशवाद’ बताया और कहा कि 2050 तक नेट जीरो के लक्ष्य को विकासशील देशों पर थोपा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘अगर हम सभी देशों के लिए 2050 तक नेट जीरो के लक्ष्य को स्वीकार कर लेते हैं, तो विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के मामले में अन्यायपूर्ण तरीके से फंस जाएंगे. ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि विकसित देशों के पास लक्ष्य को हासिल करने के लिए आर्थिक और तकनीकी क्षमताएं होंगी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘विकासशील देशों के तौर पर हम इसमें फंस जाएंगे, क्योंकि हम कभी भी उन लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएंगे, जो वे पूरी दुनिया के सामने रख रहे हैं. और जो देश नेट जीरो टार्गेट हासिल नहीं कर पाएंगे, उनकी नैतिक और आर्थिक रूप से निंदा की जाएगी. यह गलत है और जलवायु न्याय के खिलाफ है.’ उन्होंने इस ‘कार्बन उपनिवेशवाद’ के खिलाफ लड़ने की जरूरत की बात कही. उन्होंने कहा कि सभी देशों से जलवायु के लिए अपने कामों को बढ़ाने के लिए कहा गया, ताकि बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोका जा सके, लेकिन इस काम में पैसों और तकनीक की मदद पर ध्यान नहीं दिया गया.

 

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button