4134 आंगनबाड़ीं केद्रों पर बच्चों का लिया जा रहा वजन, तैयार हो रही सूची
कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा 7 जून से वजन सप्ताह मनाने का काम शुरू कर दिया गया है। आगामी 24 जून तक मनाए जाने वाले वजन सप्ताह के अंतर्गत जिले के सभी 4134 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 0-5 वर्ष आयु वर्ग बच्चों का वजन लिया जाना है। वजन के आधार पर बच्चों को सैम और मैम श्रेणी में सूचीबद्ध करने का निर्देश सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया गया है। वजन के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी एसके सिंह ने बताया कि बच्चों को सुपोषित करने के लिए कुपोषण पर वार जरूरी है। ऐसे में कुपोषण के स्थिति को जानने के लिए बच्चों की उम्र के हिसाब से वजन और लंबाई पर ध्यान देना होता है। पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए कुपोषण की सही समय पर पहचान जरूरी है। कुपोषण से ग्रसित बच्चों में बाल्यावस्था की बीमारियों और उनसे होने मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में शासन के दिशा-निर्देश पर जिले मेंसैम(अति कुपोषित) मैम ( कुपोषित) बच्चों की पहचान के लिये वजन लेने का काम शुरू कर दिया गया है। वजन सप्ताह के अंतर्गत चिन्हित सैम और मैम का ब्यौरा बेसलाइन सर्वे माना जाएगा। इसी बेसलाइन सर्वे के मुताबिक कुपोषण की रोकथाम के लिए पहली जुलाई से दो अक्टूबर तक ‘संभव अभियान’ चलाया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि 17 से शुरू वजन सप्ताह 24 जून तक चलेगा। वजन लेने का काम आंगनबाड़ी केन्द्रों या किसी सामुदायिक स्थलों पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किया जा रहा है। अल्प वजन और ऊंचाई व लंबाई के अनुसार गंभीर अल्प वजन वाले बच्चे चिन्हित किये जा रहे हैं। दिव्यांग बच्चों को भी चिन्हित किया जाएगा। इसी आधार पर जुलाई माह में विशेष ‘‘संभव अभियान’ (पोषण संवर्धन की ओर एक कदम) पहली जुलाई से दो अक्टूबर तक चलाया जाएगा। इस अभियान के दौरान सामुदायिक गतिविधियां आयोजित कर कुपोषण पर वार किया जाएगा। सामुदायिक गतिविधियों में साप्ताहिक गृह भ्रमण, स्वास्थ्य जांच, चिकित्सकीय उपचार तथा अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र पर संदर्भित करने का काम किया जाएगा। इसके बाद 20 से 25 सितम्बर के मध्य फिर से वजन सप्ताह का आयोजन कर कुपोषित बच्चों की सेहत में हुई प्रगति का आंकलन किया जाएगा। जुलाई माह मातृ पोषण, अगस्त माह जीवन के पहले 1000 दिवस और सितंबर माह में कुपोषित बच्चों के उपचार पर फोकस रहेगा।