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देश में आतंक की बड़ी साजिश रच रहे माओवादी

रांची: भाकपा माओवादी की भावी योजना पुलिस बलों की तर्ज पर यूनिफाइड कमांड के गठन की है। हजारीबाग पुलिस के हत्थे चढ़े 25 लाख के इनामी माओवादी व स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य प्रद्युम्न शर्मा ने पूछताछ के दौरान पुलिस के समक्ष माओवादी संगठन की भावी योजनाओं का खुलासा किया है। प्रद्युम्न ने बताया कि यूनिफाइड कमांड के गठन के साथ-साथ संगठन का पू्र्ण गठन, संगठन को जोड़ना व हाल में लगे झटकों से पार्टी संगठन को उभारने के काम में वह लगा हुआ था। उसके द्वारा किये गये खुलासे से पता चला है कि यूनिफाइड कमांड के तहत अलग-अलग राज्यों में सक्रिय माओवादियों को जोड़कर एक संयुक्त बल बनाने की योजना है। प्रद्युम्न ने स्वीकार किया है कि उसके छत्तीससगढ़ में सक्रिय माओवादी हिडिंबा, गनगना और अशोक रेड्डी के साथ संपर्क थे।

प्रद्युम्न शर्मा ने पुलिस की पूछताछ में बिहार और झारखंड के अपने सहयोगियों के नाम भी बताए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार उसने बताया कि बिहार के गया जिले का एक चर्चित व्यक्ति संगठन को आग्नेयास्त्र और विस्फोटकों की आपूर्ति करता है। वहीं मगध जोन में नवादा रजौली के कैलाश यादव और विनोद यादव से लेवी ली जाती है। जबकि जहानाबाद का राकेश साव व पटना के मसौढ़ी का मधिर उर्फ अली इमाम लेवी की राशि की वसूली माओवादियो के लिए करता है।

प्रद्युम्न शर्मा ने बताया है कि झारखंड के सारंडा और बूढ़ापहाड़ में माओवादियों का सैन्य कैंप चलता है। इन कैंप में माओवादियों को हथियार चलाने और विस्फोटक बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण की जिम्मेवारी मध्य जोन में आभास भुइयां की थी। अब माओवादियों को कोयल शंख जोन में रवींद्र गंझू, मध्य जोन में मनोहर और अमर गंझू ट्रेनिंग देते हैं। उसने बताया कि बम लगाने की ट्रेनिंग माओवादियों को विश्वनाथ ने दी है

प्रद्युम्न शर्मा ने भाकपा माओवादी के अग्रणी संगठनों के बारे में भी जानकारी दी है। उसने बताया है कि आरडीएफ, पीडीएफ, नारी मुक्ति संघ, बुद्धिजीवी मंच और सांस्कृतिक टीम संगठन के विचारों के प्रचार में लगे रहते हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार उसने भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो से लेकर संगठन के जोनल स्तर के कई पदाधिकारियों के नाम भी बताए हैं।

पुलिस के अनुसार, हजारीबाग में प्रद्युम्न शर्मा के खिलाफ तीन केस दर्ज हैं। हजारीबाग पुलिस इन कांडों में उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। प्रद्युम्न हजारीबाग पुलिस के हत्थे चढ़ने के पहले 1997 में जहानाबाद के घोसी, 2005 में पटना के मसौढ़ी, 2009 में लातेहार थाना, 2010 में जहानाबाद के मखदुमपुर थाना और 2012 में गया के गया थाना से जेल जा चुका है। 2015 में जेल से छूटने के बाद वह दोबारा माओवादी संगठन में सक्रिय हो गया था।

 

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