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3 शहरों में फैली दंगों की आग

दंगों : महाराष्ट्र में शुक्रवार को एक ही समय पर अलग अलग जिलों में हिंसक घटनाएं हुईं. गाड़ियों को आग लगा दी गई. सैकड़ों दुकानों में तोड़फोड़ की गई और पुलिस पर भी पत्थर बरसाए गए. इस हिंसा के पीछे त्रिपुरा के कथित दंगों को वजह बताया जा रहा है.

दरअसल 26 अक्टूबर को ये खबर आई थी कि त्रिपुरा में मुस्लिम मसुदाय के खिलाफ दंगे भड़क गए हैं. जिसमें कुछ लोगों ने एक मस्जिद को भी नष्ट कर दिया है. बाद में त्रिपुरा पुलिस ने इन खबरों को गलत बताया और कहा कि वहां मुसलमानों के घर जलाने की बात एक कोरी अफवाह है. ये अफवाह आग की तरह भारत के अलग अलग राज्यों में फैल गई और महाराष्ट्र में इसने हिंसा का रूप ले लिया.

नांदेड़-अमरावती में हजारों की भीड़ ने की तोड़फोड़
नांदेड़ जिले में तो उग्र भीड़ ने पुलिस पर एक घंटे तक पत्थरबाजी की. इसके अलावा एक CCTV फुटेज में कुछ लोगों को गाड़ियों और दुकानों में तोड़फोड़ करते हुए देखा गया. इस हिंसक भीड़ ने उन्हीं दुकानों को निशाना बनाया, जिनके मालिक दूसरे धर्मों के थे. जिन्होंने आंदोलन के समर्थन में अपनी दुकानें बन्द नहीं रखी थी. इस हिंसा में वहां एक A SP, एक इंस्पेक्टर समेत 7 लोग घायल हुए हैं.

अमरावती जिले में तो 10 हज़ार लोगों की भीड़ पुलिस पर पत्थरबाज़ी कर रही थी. पैदल मार्च के दौरान जब इस भीड़ ने ये देखा कि कुछ लोगों ने इनके कहने पर भी अपनी दुकानें बन्द नहीं की हैं उन्होंने उन दुकानों में तोड़फोड़ शुरू कर दी. बताया जा रहा है कि वहां लगभग 40 से ज़्यादा दुकानों को तहस नहस कर दिया गया और कुछ घरों पर भी पत्थर फेंके गए.

मालेगांव में भी हिंसक भीड़ ने पुलिस और आम लोगों को निशाना बनाया. यहां पहले रैलियां हुईं. मुस्लिम धर्मगुरुओं और नेताओं ने भाषण दिए और उसके बाद जब पैदल मार्च निकाला गया तो गाड़ियों और दुकानों को आग लगा दी गई. इस हिंसा का वहां लोगों में इस कदर डर फैला कि जो दुकानें पहले खुली भी हुई थीं, उनके मालिक भी उन्हें बंद करके अपने घरों में जाकर छिप गए.

ये बंद महाराष्ट्र की एक इस्लामिक संस्था रजा अकादमी ने बुलाया था. ये वही संस्था है, जिसने अगस्त 2012 में असम में हुई हिंसा और म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ़ भड़के दंगों के खिलाफ मुंबई के आज़ाद मैदान में रैली बुलाई थी. तब भी इस रैली में भीड़ हिंसक हो गई थी और उसने अमर जवान ज्योति को नष्ट कर दिया था. तब मुंबई शहर के पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक थे, जिनका तबादला कर दिया गया था.

पिछले महीने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ़ ज़बरदस्त हिंसा हुई थी. उस समय वहां कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों ने दुर्गा पूजा पंडालों में आग लगा दी थी और कुछ हिन्दुओं की हत्या भी कर दी थी. इसी हिंसा के विरोध में 26 अक्टूबर को त्रिपुरा में एक रैली निकाली गई थी. इसके बाद अफवाह फैली थी कि इस रैली में मुसलमानों के घर जला दिए गए हैं.

त्रिपुरा पुलिस के मुताबिक़ ये जानकारी पूरी तरह गलत थी, जिसके लिए उसने 102 लोगों पर Unlawful Activities Act के तहत मामला दर्ज किया है. इनमें कुछ पत्रकार और वकील भी हैं. इस मामले में ही सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है. इस कानून के तहत तब केस दर्ज होता है, जब पुलिस को ये लगता हो कि उस व्यक्ति ने राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को संकट में डालने की कोशिश की है.

 

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