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2021 – Starting with Corona, ending on Omicron

कोलकाता – कोरोना वायरस ने वर्ष 2021 को अलविदा कहने से पहले कोलकाता में नए वैरिएंट ओमिक्रान ने दहशत पैदा कर दी। साल खत्म होते-होते कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के एक जूनियर डॉक्टर की जीनोम सिक्वेंसिंग में ओमिक्रान संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही राज्य ओमिक्रान वेरिएंट के संक्रमित मरीजों की संख्या छह तक पहुंच गई। इस साल के अंत तक कोरोना से बंगाल में करीब 19,711 लोग जान से हाथ धो बैठे।

साल के अंत में नदिया जिले के कल्याणी जवाहर नवोदय विद्यालय के 29 छात्रों के कोरोना संक्रमित मिलने से स्कूल प्रबंधन के साथ छात्रों-अभिभावकों में हडकंप मच गया। सरकार के दावों में जहां प्रदेश में कोविड नियंत्रण में रहा, लेकिन स्कूल में कोरोना विस्फोट ने प्रशासन की नींद उड़ा कर रख दी।इस साल सबसे पहले ब्रिटेन से कोलकाता आई युवती में कोरोना के वायरस संक्रमित होने के बाद ओमिक्रान संदेह में जांच की गई। हालांकि रिपोर्ट में ओमिक्रान लक्षण नहीं मिले।

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साल के खत्म होने से कुछ ही दिन पहले एक जूनियर डाक्टर के ओमिक्रान पाजिटिव मिलने से स्वास्थय सेवा मे जुटे डाक्टरों और नर्सिग स्टाफ में डर बैठ गया.एक तरफ जहां बंगाल ने देशभर में टीकाकरण में बेहतर प्रदर्शन किया वहीं कोलकाता की स्थिति सबसे खऱाब रही थी। कोलकाता में तो हालत यह हो गई थी कि टेस्ट कराने वाला हर दूसरा व्यक्ति कोरोना संक्रमित मिला। राज्य सरकार के डाटा के मुताबिक़ गत साल अक्तूबर में जब कोरोना की पहली लहर चरम पर थी तब भी राज्य में पॉजिटिविटी रेट 9.70 फ़ीसदी थी।

तमाम सरकारी दावों के बावजूद मरीज़ों को अस्पतालों में न तो बेड मिले और न पर्याप्त इलाज। उसपर आरजीकर में जूनियर डाक्टरों की हड़ताल व मरीज़ों की तादाद लगातार बढऩे की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई।कोरोना के इलाज और टीकाकरण को लेकर राजनीतिक कुश्ती में जहां सत्तारूढ़ टीएमसी और भाजपा आरोप-प्रत्यारोप में उलझी और बंगवासी दो पाटों के बीच पिसने पर मजबूर रहे।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टीकों की आपूर्ति में कमी के लिए केंद्र की भाजपा सरकार को घेरा तो भाजपा ने राज्य सरकार पर टीकाकरण का बेहतर प्रबंधन नही करने का आरोप लगाया । 19,711 मौत राज्य स्वास्थ्य विभाग की बुलेटिन के अनुसार दिसंबर के अंत तक तक प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 19,711 हो ग्ई।जबकि कुल संक्रमितों की संख्या 16,30,082 रही।कोरोना टेस्ट में देश में सबसे पीछे बंगाल है।

राज्य में हर 10 लाख लोगों पर 4952 सैंपल जांच की गई और दूसरी खुराक मामले में बंगाल पहले पांच में भी नहीं। बंगाल 11वें स्थान पर है।

 कोरोना से शुरू, ओमिक्रान पर खत्मविधानसभा चुनाव के दौरान गई कई नेताओं की जान
कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर (डॉक्टर) सौगत घोष के शब्दों में अफ़सोस की बात यह रही कि लोग अब भी कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ के पूर्व निदेशक गिरीश कुमार पांडे के अनुसार बंगाल विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने से कई उम्मीदवारों को जान से हाथ तक धोना पड़ा। कई नेता कोरोना की चपेट में आए। सबसे पहले मुर्शिदाबाद की समसेरगंज सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रिजाउल हक की कोरोना से मौत हुई। फिर खरदह से टीएमसी प्रत्याशी काजल सिन्हा की जान चली गई। कोरोना संक्रमित कई नेता अस्पतालों और घरों में आइसोलेट रहे। रैलियों में लापरवाही की वजह से कितनों को ही जान चली गई। फिर दुर्गा पूजा की अनियंत्रित भीड और साल के अंत में दिसंबर में हुए कोलकाता नगर निगम (केएमसी) चुनाव में बेखौफ विभिन्न पार्टियों के नेता प्रचार के दौरान कोविड प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ाते नजर आए। हालांकि विधानसभा चुनाव के तरह केएमसी चुनाव में कोई अनहोनी नहीं हुई। दुर्गा पूजा में लापरवाही से फिर से कोरोना संक्रमण में इजाफा हुआ।

टीके के लिए मारा-मारी – जहां कोलकाता समेत प्रदेश के कई हिस्सों में टीके के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी तो केएमसी के सेंटरों में स्टाक खत्म होने पर टीकाकरण केंद्र बंद तक करने की नौबत भी आई। वहीं आक्सीजन के सिलेंडरों की कालाबाारी चरम परर रही। ख़ाली सिलेंडर 25 से 40 हज़ार तक बिके। सिलेंडर की कमी होने से मेडिकल ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में अस्पतालों तक नहीं पहुंची। टेस्ट रिपोर्ट के लिए लोोगं को एक-एक सप्ताह का इंतज़ार करना पड़ा।

डर के साये में जनजीवन सामान्य – पिछले साल कोरोना के चलते पूर्ण लाकडाउन से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इसके विपरीत साल 2021 के शुरू से लेकर अंत तक गत वर्ष की तुलना में जनजीवन सामान्य रहा। हालांकि इस साल के आरंभ से अप्रैल तक सरकार ने कुछ पाबंदियां लगाई लेकिन पूर्ण लाकडाउन से यह साल अछूता रहा। मार्केट खुले रहे, आवागामन सुचारू रहा

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