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2013 बैच के BTC पास अभ्यर्थी नहीं बन सकेंगे सहायक टीचर: हाईकोर्ट की 2 बड़ी खबरें
इलाहाबाद.परिषदीय विद्यालयों में 16448 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया में बीटीसी 2013 बैच के अभ्यर्थियों को अब मौक़ा नहीं मिल सकेगा। चयन प्रक्रिया में शामिल करने की उनकी मांग हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। 2013 बैच के अभ्यर्थियों की तरफ से कई याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गई थी। सभी की एक साथ सुनवाई करते हुए जस्टिस मनोज मिश्रा ने याचिकाएं ख़ारिज कर दी है।
मनीष कुमार सिंह और अन्य दर्जनों दायर याचिकाओं में कहा गया था कि प्रदेश सरकार के परिषदीय विद्यालयों में 16448 सहायक अध्यापको कि नियुक्ति के लिए 16 जून 2016 को अधिसूचना जारी की। इसमें यह शर्त रखी गई कि अधिसूचना जारी होने की तिथि पर जो अभ्यर्थी न्यूनतम शैक्षणिक और प्रशिक्षण अर्हता रखते हैं, वही आवेदन करने के लिए अर्ह है। इसके बाद तमाम ज़िलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों की तरफ से पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया। बीटीसी 2013 बैच के अभ्यर्थियों ने मई 2016 में परीक्षा दी थी। मगर उनका परिणाम कट ऑफ़ डेट 16 जून से पूर्व घोषित नहीं किया गया था। हालांकि परिणाम आवेदन की अंतिम तिथि से पूर्व घोषित हो चुका था।
याचिका में कहा गया था की अर्हता की कट ऑफ़ डेट 16 जून होने की वजह से वह पदों के लिए आवेदन नहीं कर सके। यदि कट ऑफ़ डेट आवेदन करने की अंतिम तिथि को होती तो वह आवेदन कर सकते थे। क्योंकि उस वक्त उनके परिणाम जारी हो चुके थे। कहा गया था कि सरकार ने ऐसा जान-बूझकर किया है ताकि 2013 बैच के एक बड़े वर्ग को चयन प्रक्रिया से बाहर रखा जा सके। कोर्ट ने याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा कि 16 जून 2016 को अर्हता की अंतिम डेट तय करना मनमाना व् भेदभावपूर्ण नहीं है।
साथी की मौत से गुस्साए हाईकोर्ट के वकीलों ने नहीं किया काम
इलाहाबाद हाईकोर्ट समेत यहां के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट व अन्य न्यायालयों के वकील सोमवार को हड़ताल पर रहे। वकीलों ने कोई न्यायिक कार्य नहीं किया। परिणाम स्वरूप प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाकों से आए वादकारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। वकीलों के हड़ताल के चलते हाईकोर्ट में न्यायिक कार्य पूरी तरह ठप रहा। न्यायाधीश कुछ समय के लिए कोर्ट में आए, लेकिन वकीलों की अनुपस्थिति के कारण वे भी अपने चैम्बर में चले गए।
वकीलों ने यह मांग की कि मृतक अधिवक्ता सुमित पाण्डेय के हत्यारोें की शीघ्र गिरफ्तारी की जाए और उनके परिजनों को सरकार 50 लाख रुपए मुआवजा मुहैया कराए। वकीलों ने मांग की है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों को वह चाहे कितना भी बड़ा हो दंंडित किया जाए।
ये है पूरा मामला
युवा अधिवक्ता सुमित पांडेय की रविवार को लखनऊ एसपीजीआई में इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने अनहोनी को रोकने के उदेश्य में कल ही पोस्टमार्टम करा कर रसूलाबाद घाट पर दाह संस्कार करा दिया। घटना की सूचना मिलते ही हाईकोर्ट बार के पदाधिकारियों ने रविवार 24 जुलाई को मीटिंग कर न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया। बवाल की आशंका को देखते हुए पुलिस के पहरे में वकील सुमित पांडेय का अन्तिम संस्कार किया गया। अन्तिम संस्कार के समय घाट पर कई थानों की फोर्स व सीओ भी मौजूद रहे। इसी माह युवा वकील सुमित पाण्डेय की कंपनीबाग से टहल कर सुबह घर जाते हुए अज्ञात बदमाशों ने गोली मार दी थी। घायल युवा अधिवक्ता को पहले एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में हालत बिगड़ने पर डाक्टरों ने उन्हें एसजीपीजीआई लखनऊ रेफर कर दिया।
कुछ दिन के इलाज के बाद रविवार को अधिवक्ता की मृत्यु हो गई। हाईकोर्ट के वकीलों ने हजारों की संख्या में सोमवार को एकत्रित होकर हाईकोर्ट परिसर के चारों तरफ घेराबंदी कर दी थी, ताकि कोई भी अधिवक्ता व वादकारी न्यायालय परिसर में न घुस पाए। हाईकोर्ट परिसर में प्रवेश करने वाले सभी गेटों को बंद करा दिया गया था। वकीलों के आक्रोश को देखते हुए प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया था ताकि किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।