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पुरानी नमकीन, बीकानेरी भुजिया से 20 गुना

जयपुर । आज (20 times Bhujia) जब भी नमकीन की बात होती है तो सबसे पहले नाम ध्यान में आता है बीकानेरी (20 times Bhujia) भुजिया। क्या आपको पता है इस फेमस भुजिया की शुरुआत करीब 149 साल पहले हुई थी, लेकिन आज हम आपको ऐसे नमकीन के बारे में बताएंगे जो इससे भी पुरानी है। तीखे और चटपटे स्वाद के कारण यहां का नमकीन लोगों की थाली का हिस्सा बन गया है।

अलग-अलग फ्लेवर वाले इन कड़कों (मोटे सेव) की सबसे खास बात है इनकी 7 वैरायटी। ये साइज में बीकानेरी भुजिया से करीब 20 गुना बड़े होते हैं, लेकिन स्वाद में बड़े-बड़े ब्रांड को भी टक्कर देते हैं। जब राजा-महाराजाओं का दौर था, तब गांधी चौक को आमेर चौक ही कहा जाता था। यहां से 300 मीटर की दूरी पर ही वर्ल्ड फेमस आमेर महल को जाने वाला रास्ता शुरू होता है।

कई बार पूर्व राजघराने के महाराज का काफिला इसी चौक से होकर गुजरता था। ऐसे भी मौके आते थे जब राजशाही परिवार का काफिला भी नमकीन की महक नाक तक पहुंचते ही रुक जाता था। तब सैकड़ों लोग यहां के नमकीन का स्वाद चखते और अपने साथ लेकर जाते थे। सन 1727 में जयपुर की स्थापना के करीब 90-95 साल बाद यहां के हलवाइयों ने बेसन से बनने वाले नमकीन में कई प्रयोग किए।

अजवायन, लोंग, जीरा, काली मिर्च, लहसुन, पुदिना जैसे पारंपरिक मसालों से 7 ऐसी वैरायटी तैयार की जो पूरे राजस्थान में कहीं नहीं मिलती।सबसे ज्यादा डिमांड लहसुन और पुदिना के कड़कों की होती है। विदेशी पर्यटक भी अपने साथ यहां का जायका जरूर लेकर जाते हैं। राजे-रजवाड़ों के समय इस नमकीन ने अपनी पहचान कायम की है। आज इन्हें आमेर के कड़के, आमेर के सेव, आमेर के नमकीन जैसे कई नामों से लोग जानते हैं।

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