main slideउत्तर प्रदेश
180 KMPH की रफ्तार में ब्रेक लगाने पर 2 KM बाद रुकी टेल्गो, आज भी होगा ट्रायल
मथुरा.देश की सबसे तेज ट्रेन टेल्गो का ब्रेकिंग ट्रायल बुधवार को हुआ। यह ट्रेन दोपहर 12.14 बजे मथुरा से पलवल (रूंधी स्टेशन) के लिए रवाना हुई और करीब 4.30 बजे यह ट्रायल खत्म हुआ। इस दौरान ब्रेक लगाकर इसके असर की जांच की गई। 180 KMPH की स्पीड में सामान्य ब्रेक लगाने पर यह 2 KM बाद रुकी जबकि भारतीय ट्रेन 600-700 मीटर बाद रुक जाती हैं। इस कारण इसका ट्रायल गुरुवार को भी जारी रहेगा। 20 पहिए पर दौड़ती है टेल्गो…
– 9 कोच की टेल्गो ट्रेन में मात्र 20 पहिए हैं। ऐसे में मात्र 40 ब्रेक लगते हैं।
– जबकि भारतीय ट्रेन में 9 कोच में 84 पहिए होते हैं। इस दौरान 168 ब्रेक लगते हैं।
– यह भी एक वजह बताया जा रहा है, जिससे टेल्गो को इमजेंसी ब्रेक लगाने पर रुकने में दो किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी।
– अब गुरुवार को भी ट्रेन का ब्रेकिंग ट्रायल होगा। इस दौरान फिर से इसके ब्रेक लगने के दौरान रुकने की दूरी मापी जाएगी।
– जबकि भारतीय ट्रेन में 9 कोच में 84 पहिए होते हैं। इस दौरान 168 ब्रेक लगते हैं।
– यह भी एक वजह बताया जा रहा है, जिससे टेल्गो को इमजेंसी ब्रेक लगाने पर रुकने में दो किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी।
– अब गुरुवार को भी ट्रेन का ब्रेकिंग ट्रायल होगा। इस दौरान फिर से इसके ब्रेक लगने के दौरान रुकने की दूरी मापी जाएगी।
स्पीड ट्रायल हो चुका है पूरा
– टेल्गो ट्रेन की स्पीड का ट्रायल पूरा हो चुका है। अब इसके ब्रेकों को चेक किया गया।
– स्पैनिश रेलवे इंजीनियर और इंडियन रेलवे की टीम देख रही थी कि अचानक ब्रेक का प्रयोग करने पर ट्रेन की स्थिति क्या रहती है।
– ट्रेन में लोगों के वजन के बराबर बालू और मिट्टी की बोरियां रखकर ट्रायल किया गया।
– एरिया मैनेजर एनपी सिंह ने बताया कि ब्रेक लगाने का ट्रायल सीधी पटरी और घुमावदार पटरी पर किया गया।
– इस दौरान पता लगाया गया कि ब्रेक लगाने के दौरान कितना जर्क महसूस होता है।
– ट्रेन में लोगों के वजन के बराबर बालू और मिट्टी की बोरियां रखकर ट्रायल किया गया।
– एरिया मैनेजर एनपी सिंह ने बताया कि ब्रेक लगाने का ट्रायल सीधी पटरी और घुमावदार पटरी पर किया गया।
– इस दौरान पता लगाया गया कि ब्रेक लगाने के दौरान कितना जर्क महसूस होता है।
– इमरजेंसी ब्रेक लगाने पर इस ट्रेन पर क्या असर हो सकता है।
– यह ट्रायल 16 जुलाई से लगातार चल रहा है। बुधवार को ट्रायल सफल होते ही ट्रेन को अगले ट्रायल के लिए दिल्ली मुंबई रूट पर दौड़ाने पर फैसला होगा।
– मथुरा से पलवल के बीच लगभग 84 किलोमीटर के परीक्षण में नौ कोचों का इस्तेमाल किया गया।
– इसमें अलग-अलग कोच को अलग-अलग लोड जैसे खाली रैक, भरा हुआ, सूखा, वेट रैक आदि के साथ विभिन्न व्यावहारिक परिस्थितियों में परीक्षण किया गया।
– यह ट्रायल 16 जुलाई से लगातार चल रहा है। बुधवार को ट्रायल सफल होते ही ट्रेन को अगले ट्रायल के लिए दिल्ली मुंबई रूट पर दौड़ाने पर फैसला होगा।
– मथुरा से पलवल के बीच लगभग 84 किलोमीटर के परीक्षण में नौ कोचों का इस्तेमाल किया गया।
– इसमें अलग-अलग कोच को अलग-अलग लोड जैसे खाली रैक, भरा हुआ, सूखा, वेट रैक आदि के साथ विभिन्न व्यावहारिक परिस्थितियों में परीक्षण किया गया।
– 13 और 21 जुलाई को इसी ट्रैक पर 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़कर इसने देश में इतिहास रच दिया था।
पटरी पर जम्पिंग के साथ भी हुआ था ट्रायल
– 13 जुलाई को हाई स्पीड पर ट्रेन का जम्पिंग टेस्ट भी हुआ। आझई रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर 1 इंच मोटा और 6 इंच लंबा लोहे का टुकड़ा रखा गया।
– इसके बाद ट्रेन को इस पर दौड़ाया गया। ऐसी जांच इसलिए की गई, ताकि पता चल सके कि ट्रैक पर कोई ब्लॉकर आने पर हाई स्पीड में ट्रेन पर क्या असर हो सकता है।
– इसके बाद ट्रेन को इस पर दौड़ाया गया। ऐसी जांच इसलिए की गई, ताकि पता चल सके कि ट्रैक पर कोई ब्लॉकर आने पर हाई स्पीड में ट्रेन पर क्या असर हो सकता है।
गतिमान एक्सप्रेस को पीछे छोड़ा
– बता दें, भारत में अभी तक सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस थी। दिल्ली (हजरत निजामुद्दीन स्टेशन) से आगरा तक चलने वाली इस ट्रेन की मैक्सिमम स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है।
– गतिमान को ओएचई इंजन (बिजली से चलने वाला इंजन) से चलाया जाता है, जबकि टेल्गो को डीजल इंजन से दौड़ाया गया।
– गतिमान को ओएचई इंजन (बिजली से चलने वाला इंजन) से चलाया जाता है, जबकि टेल्गो को डीजल इंजन से दौड़ाया गया।
टेल्गो की खासियत क्या है ?
– 1942 से काम कर रही टेल्गो बेहतरीन पैसेंजर कोच बनाने के लिए जानी जाती है।
– नॉर्मल भारतीय कोच में दो पहिए एक ही धुरी पर होते हैं, जिससे जर्क पूरे कोच पर आता है।
– वहीं, टेल्गो के कोच में पहिए अलग-अलग धुरी से जुड़े होते हैं। इससे कोच में जर्क महसूस नहीं होता है।
– कंपनी ने अब तक 14 तरह के कोच बनाए हैं। ये कोच 380 किमी प्रति घंटे की स्पीड तक दौड़ सकते हैं।
– कोच एल्युमिनियम से बने होने के कारण बेहद हल्के हैं। इससे रफ्तार तेज है। इसकी सीट भी बेहद आरामदायक हैं।
– बुजुर्गों, प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों को प्लैटफॉर्म पर उतरने में भी परेशानी नहीं होगी।
– इमरजेंसी ब्रेक लगने पर पैसेंजर्स को जर्क नहीं लगेगा।
– नॉर्मल भारतीय कोच में दो पहिए एक ही धुरी पर होते हैं, जिससे जर्क पूरे कोच पर आता है।
– वहीं, टेल्गो के कोच में पहिए अलग-अलग धुरी से जुड़े होते हैं। इससे कोच में जर्क महसूस नहीं होता है।
– कंपनी ने अब तक 14 तरह के कोच बनाए हैं। ये कोच 380 किमी प्रति घंटे की स्पीड तक दौड़ सकते हैं।
– कोच एल्युमिनियम से बने होने के कारण बेहद हल्के हैं। इससे रफ्तार तेज है। इसकी सीट भी बेहद आरामदायक हैं।
– बुजुर्गों, प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों को प्लैटफॉर्म पर उतरने में भी परेशानी नहीं होगी।
– इमरजेंसी ब्रेक लगने पर पैसेंजर्स को जर्क नहीं लगेगा।
पलवल से मथुरा के बीच क्यों हुआ ट्रायल?
– एडीआरएम एसपी सिंह ने बताया कि पलवल से मथुरा के बीच 3 ट्रैक हैं। इनमें से 1 ट्रैक को किसी भी वक्त के लिए रिजर्व रखा जा सकता है।
– गतिमान एक्सप्रेस के लिए ट्रैक को हाई स्पीड बनाने के लिए प्रति किमी 13.5 लाख रुपए खर्च हुए थे।
– इस ट्रैक के दोनों तरफ बाड़ लगाई जा चुकी है। ट्रैक बदले जा चुके हैं।
– इसी ट्रैक पर गतिमान एक्सप्रेस अपनी मैक्सिमम स्पीड 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार दौड़ती है।
– यह ट्रैक 200 किमी प्रति घंटे से भी ज्यादा रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेनों के अनुकूल है।
– गतिमान एक्सप्रेस के लिए ट्रैक को हाई स्पीड बनाने के लिए प्रति किमी 13.5 लाख रुपए खर्च हुए थे।
– इस ट्रैक के दोनों तरफ बाड़ लगाई जा चुकी है। ट्रैक बदले जा चुके हैं।
– इसी ट्रैक पर गतिमान एक्सप्रेस अपनी मैक्सिमम स्पीड 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार दौड़ती है।
– यह ट्रैक 200 किमी प्रति घंटे से भी ज्यादा रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेनों के अनुकूल है।
भारत में क्या है ट्रेनों की स्पीड?
गतिमान एक्सप्रेस :160 km/h
भोपाल शताब्दी :दिल्ली टू आगरा 150 km/h, बाद में 140 km/h
राजधानी एक्सप्रेस :140 km/h
एक्सप्रेस, सुपरफास्ट ट्रेनें :90 km/h
पैसेंजर ट्रेन :60 km/h
भोपाल शताब्दी :दिल्ली टू आगरा 150 km/h, बाद में 140 km/h
राजधानी एक्सप्रेस :140 km/h
एक्सप्रेस, सुपरफास्ट ट्रेनें :90 km/h
पैसेंजर ट्रेन :60 km/h