अंतराष्ट्रीय

15 अगस्‍त को काबुल पर कब्जे के ल‍िए हामिद करजई ने भेजा था तालिबान को बुलावा

 तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर अपनी मर्जी से कब्जा नहीं किया बल्कि उसे इसके लिए आमंत्रित किया गया था। तालिबान सरकार को अपदस्थ करके अमेरिका की मदद से अफगानिस्तान के 13 साल राष्ट्रपति रहे हामिद करजई ने ही तालिबान को काबुल पर काबिज होने का न्योता दिया था। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की अफगानिस्तान से गुप्त एवं आकस्मिक रवानगी के बारे में रहस्योद्घाटन किया।

सरकार में कोई शेष नहीं बचा – उन्होंने बताया कि उन्होंने ‘लोगों की रक्षा की खातिर’ तालिबान को शहर में आने का न्योता दिया था ‘ताकि देश एवं शहर अराजकता में न फंस जाए।’ जब गनी देश से गये, तब उनके सुरक्षा अधिकारी भी चले गये। करजई ने जब रक्षा मंत्री बिस्मिल्ला खान से संपर्क किया कि क्या सरकार में कोई शेष बचा है, तब करजई को पता चला कि कोई नहीं बचा। यहां तक कि काबुल के पुलिस प्रमुख भी नहीं रुके। करजई ने काबुल छोड़ने से इन्कार कर दिया। वह तालिबान को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद राष्ट्रपति बने थे।

काबुल पर तालिबान के काबिज होने की फैलने लगीं अफवाहें – इस संभावित सौदे की उल्टी गिनती तालिबान के सत्ता पर काबिज होने से एक दिन पहले 14 अगस्त को शुरू हुई। करजई और अब्दुल्ला ने गनी के साथ बैठक की व उनके बीच इस बात पर सहमति बनी कि सत्ता साझेदारी समझौते पर बातचीत के लिए 15 अन्य की सूची के साथ अगले दिन वे दोहा रवाना होंगे। तालिबान तब तक काबुल के बाहरी हिस्से में पहुंच चुके थे, लेकिन कतर में उसके नेतृत्व ने वादा किया कि जब तक समझौता नहीं होता, तब तक वे बाहर रहेंगे। करजई ने 15 अगस्त तड़के सूची तैयार करने का इंतजार किया। लेकिन शहर में तालिबान के काबिज हो जाने की अफवाहें फैलने लगीं। उन्होंने दोहा से संपर्क कर बताया कि तालिबान शहर में दाखिल नहीं होंगे।

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