हरदोई में सीएमओ के अधीन 20 पद खाली !

मेडिकल कॉलेज बनने से मिलने वाली सुविधाओं को लेकर कई दावे किए गए थे, लेकिन सब धड़ाम हो गए हैं। बेशक मेडिकल कॉलेज बनने से भविष्य में बहुत सारी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन वर्तमान में जरूरतमंदों को इलाज के लिए मुसीबतें ही झेलनी पड़ रही हैं। मेडिकल कॉलेज के लोकार्पण के दौरान वक्ताओं ने स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे किए हों, लेकिन हकीकत यह है कि जनप्रतिनिधि से लेकर अफसर तक जिले में एक सर्जन की व्यवस्था नहीं करा पाए। जनपद में स्वास्थ्य महकमे के अधीन सर्जन के 20 पदों के सापेक्ष नियुक्ति शून्य है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी कोई सर्जन नहीं रह गया है। 25 अक्तूबर को गौराडांडा स्थित मेडिकल कॉलेज का वर्चुअली लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस दौरान स्थानीय स्तर पर विधानसभा के उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल, जनपद के प्रभारी मंत्री और प्रदेश सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना समेत सभी जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अफसर मौजूद थे। मेडिकल कॉलेज बनने से मिलने वाली सुविधाओं को लेकर कई दावे किए गए थे, लेकिन सब धड़ाम हो गए हैं। बेशक मेडिकल कॉलेज बनने से भविष्य में बहुत सारी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन वर्तमान में जरूरतमंदों को इलाज के लिए मुसीबतें ही झेलनी पड़ रही हैं।
जिले में बीस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इसके अलावा एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 43 न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। 42 लाख से अधिक की आबादी वाले जिले में स्वास्थ्य महकमे के पास एक भी सर्जन नहीं रह गया है।
हालांकि जिला अस्पताल जो कि मेडिकल कॉलेज के अधीन है, वहां दो सर्जन तैनात हैं। खास बात यह है कि सीएमओ के अधीन आने वाले सर्जन के 20 पद हैं और दो की तैनाती भी थी। लेकिन पूर्व में हुए स्थानांतरण आदेश के क्रम में शनिवार को दोनों सर्जन कार्यमुक्त कर दिए गए हैं।
परिवार नियोजन कार्यक्रम होगा प्रभावित – जनपद में सीएमओ के अधीन तैनात सर्जन डॉ. मसूद आलम, डॉ. अविनाश सिंह आनंद और डॉ. प्रीतिपाल सिंह सलूजा को 15 जुलाई को स्थानांतरित कर दिया गया था। इनमें डॉ. सलूजा को स्थानांतरण आदेश आने के कुछ दिन बाद ही कार्यमुक्त कर दिया गया था, जबकि राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम समेत सर्जन की आवश्यकता वाले अन्य कार्यों को देखते हुए डॉ. मसूल आलम और डॉ. अविनाश सिंह आनंद को कार्यमुक्त नहीं किया गया था। इन दोनों सर्जन की उपलब्धता से काफी हद तक लोगों को राहत रहती थी, लेकिन शासन के सख्त रुख के बाद शनिवार को इन दोनों को भी कार्यमुक्त कर दिया गया। ऐसे में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत नसबंदी के ऑपरेशन हो ही नहीं पाएंगे। साथ ही प्रसव समेत अन्य ऑपरेशन भी नहीं हो सकेंगे।
तीनों एफआरयू पर भी ताला जनपद में कुल चार एफआरयू (फर्स्ट रेफरल यूनिट) हैं। इनमें एक जिला अस्पताल में और बाकी पिहानी, बिलग्राम और संडीला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हैं। एफआरयू का मतलब आसपास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से भी ऑपरेशन संबंधी मरीज उक्त केंद्रों को स्थानांतरित किए जा सकते हैं। इसका उद्देश्य यह है कि जिला मुख्यालय के ऑपरेशन थिएटर पर बहुत ज्यादा लोड न बढ़े। अब डॉ. मसूद आलम और डॉ. अविनाश सिंह आनंद के स्थानांतरण के साथ ही पिहानी और संडीला की एफआरयू पर भी ताला पड़ गया। मतलब यह कि क्रियाशील नहीं रहीं। बिलग्राम की एफआरयू पहले से ही काम नहीं कर रही थी।
सीएमओ डॉ. सूर्यमणि त्रिपाठी ने बताया कि शासन के संज्ञान में पूरा मामला है। राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रभावित न हो और जनसामान्य को दिक्कत न हो, इसलिए स्थानांतरण के बाद भी दो सर्जन कार्यमुक्त नहीं किए गए थे। शनिवार को शासन के निर्देशों के क्रम में उन दोनों सर्जन को भी कार्यमुक्त कर दिया गया। तीन सर्जन जुलाई में स्थानांतरित किए गए थे, लेकिन इनके सापेक्ष किसी की तैनाती जिले में नहीं की गई है। चिकित्सा और परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक को इस संबंध में पत्र भेजकर सर्जन की तैनाती करने की मांग की है। अभी तैनाती नहीं हुई है।
आज ही करूंगा स्वास्थ्य मंत्री से बात – विधानसभा उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल ने कहा कि जब सर्जन की तैनाती नहीं हुई थी, तो पूर्व से तैनात सर्जन को कार्यमुक्त नहीं करना चाहिए था। मामला अमर उजाला के जरिये संज्ञान में आया है। उन्होंने कहा कि सोमवार को ही इस पर स्वास्थ्य मंत्री से बात करेंगे और यथासंभव इस समस्या का निराकरण भी कराएंगे।
सत्ताधारियों का वर्चस्व फिर भी यह हाल – जनपद में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। सात विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के विधायक हैं। सदर से विधायक नितिन अग्रवाल भाजपा के सहयोग से विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं। जनपद में दो लोकसभा सीट हरदोई और मिश्रिख हैं। दोनों ही सीटों से भाजपा के सांसद हैं। एक राज्यसभा सदस्य भी हरदोई से ताल्लुक रखते हैं। स्नातक क्षेत्र के एमएलसी भी भाजपा के हैं, लेकिन जिले में सर्जन की जरूरत पूरा कराने में अब तक इन जिम्मेदारों का कोई प्रभाव नजर नहीं आया।