हजारों लोगों को हर दिन नि:शुल्क पिला रहे हैं नीम का पानी

इंदौर। मन में यदि सेवा का भाव है तो रास्ता भी खुद ब खुद मिल जाता है। अब अशोक चौराडिय़ा और उनकी पत्नी मंजू को ही देख लीजिए। हर दिन तीन हजार से अधिक लोगों को मार्निंग वॉक के वक्त पिसी हुई नीम की पत्तियों का पानी पिला रहे हैं। सतत दस दिन तक यह क्रम चलता है। यह जानकार भी आश्चर्य होगा कि यशवंत क्लब के सामने वाली सड़क पर (2009) से सेवा कार्य करते हुए उन्हें 13 साल हो गए हैं। मूल रूप से रतलाम के चौराडिय़ा दंपत्ति यहां वल्लभ नगर में रहते हैं यहां के रहवासियों के बीच 2006 से नीम रस का वितरण कर दिया था।
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चौरडिय़ा पहले दवाई कारोबार से जुड़े थे, अब दस दिन यहां नीम रस वितरण के अलावा पूरे साल एमवायएच में सहायता के माध्यम से वे और अन्य वरिष्ठजन मिलकर मरीजों को नि:शुल्क दवाई वितरण करते हैं। वायसी के सामने गुड़ी पड़वा वाले दिन से शुरु होकर दस दिन तक यह सेवा कार्य नि:शुल्क चलता है। 2013 में पांच लीटर की केन में नीम की पत्ती वाले पानी के वितरण की शुरुआत की थी और अब हर दिन 700 लीटर यानी दस दिन में सात हजार लीटर से अधिक वितरण कर रहे हैं। एक व्यक्ति को कम से कम 200 (मिली) ग्राम का वितरण करते हैं। लोग परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बॉटल आदि में भर कर भी ले जाते हैं।
आसपास के गांवों से नीम की नई पत्तियां (कोपल) लेकर आने वालों को मजदूरी का भुगतान, डंठल-उंगाल आदि से पत्ती तोडऩे वाली महिलाओं को भुगतान, आरओ पानी सप्लाय करने वाले, कैन में भरकर मेटाडोर से वायसी तक नीम पानी लाने वाले कुल (दस लोगों) को भुगतान के साथ डिस्पोजल गिलास आदि पर व्यय इस सारे खर्च को वहन करने के साथ, पत्तियां धोने, मिक्सर में पिसाई करने, छानने आदि का काम सुबह चार बज उठकर खुद पति-पत्नी करते हैं। वायसी पर सुबह 5.30 बजे से वितरण के काम में जरूर मार्निंग वॉकर सहयोग करते हैं, वितरण का सिलसिला सुबह आठ बजे तक चलता है।
200 ग्राम वाले एक गिलास में नीम की 40-50 पत्तियों का सत रहता है। सतत दस दिन इसका सेवन करने पर पूरे साल शरीर में इम्युनिटी पॉवर मजबूत रहने से कई बीमारियों से निजात मिल सकती है। कोरोना के पहले तक पोलोथीन के पैकेट में वितरण करते थे अब गिलास का उपयोग कर रहे हैं।