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सूरज क्यों दिखाई देता है लाल?

नई दिल्ली: फोटोग्राफी के शौकीन लोगों को सनराइज और सनसेट की तस्वीरें क्लिक करना काफी पसंद है. इसके वजह है कि सूरज इस वक्त लाल का हो जाता है जो दिखने में काफी खूबसूरत लगता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्य के इस लाल रंग के पीछे का साइंस क्या है.

इस वैज्ञानिक प्रकिया का राज रेली स्कैटरिंग में छिपा है, 19वीं शताब्दी में ब्रिटेन के साइंटिस्ट लॉर्ड रेली लाइट स्कैटरिंग को बताने वाले पहले शख्स थे. ये प्रकिया होती है जब सूरज की रोशनी धरती के वायुमंडल में प्रवेश करती है और फिर धूल और मिट्टी के कणों से टकराकर फैलने लगती है, लेकिन सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त ऐसा नहीं होता.

सूरज के लाल रंग के पीछे का क्या है राज?
सूरज की किरणों में 7 सात रंग होते हैं जिसेसे इंद्रधनुष या विबग्योर बनता है. इसके रंग हैं बैंगनी, नील, ब्लू, हरा, पीला, नारंगी और लाल. इसमें लाल रंग का वेवलेंथ सबसे ज्यादा होता है. इसका मलतब ये है कि रेड कलर सबसे ज्यादा दूरी से नजर आ सकता है. सूरज जब उगता या डूबता है तब ये हमारी आंखे से सबसे दूर होता है, इसलिए इसका लाल रंग हमें साफ तौर से नजर आता है वहीं बाकी 6 रंग दूरी की वजह से नहीं दिखते.

जब सूरज के चमकते वक्त बारिश होती है तो वर्षा की बूंदें आसमान में नेचुरल प्रिज्म तैयार कर देती है जिससे लाइट स्कैटरिंग की प्रकिया होती है और इंद्रधनुष बन जाता है. इसमें भी सातों कलर में से लाल रंग ज्यादा वेवलेंथ की वजह से सबसे ऊपर यानी दूर में दिखता है.

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