राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट ने आसान भाषा में फैसलों की शुरुआत

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर उसके फैसले अधिक स्पष्ट और सटीक होंगे तो आम आदमी को उसे समझने में दिक्कत नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट की तीन जज की बेंच ने गुरुवार को कहा कि यह उचित समय है कि जजों को अदालत के फैसलों को समझने में आसान बनाने के लिए रेन एंड मार्टिन के नियमों को अपनाना चाहिए. जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने कहा, ‘स्पष्ट और संक्षिप्त निर्णय लिखना समय की मांग है जिसे वादी समझ सकें. हमारा मानना है कि फैसले अधिक जटिल और शब्दों के जाल में फंसते जा रहे हैं.’ बेंच ने यह टिप्पणी फेसबुक के वीपी अजित मोहन की याचिका खारिज करने वाले फैसले के पोस्टस्क्रिप्ट में की.

छह पन्नों की पोस्टस्क्रिप्ट को तीन जजों ने फैसले में जोड़ा था. इसके जरिए अदालती फैसलों की समझ को आम आदमी के लिए भी आसान बनाने की कोशिश की गई थी. पोस्टस्क्रिप्ट में कहा गया- ‘हमारी पोस्टस्क्रिप्ट का उद्देश्य केवल कानूनी रूप से तैयार किए गए लिखे गए सारांश के महत्व को लोगों के ध्यान में लाना है साथ ही कानूनी बिरादरी के बीच एक चर्चा शुरू करना है. मौखिक तर्कों के दौरान भी ऐसा ही किया जा रहा है जिसे और अधिक स्पष्ट बनाने की जरूरत है ताकि आम आदमी समझ सके कि क्या हो रहा है. आखिरकार यह न्यायिक प्रणाली ‘आम आदमी’ के लिए है.’

 

 

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