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सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से सुरंगों का निर्माण

नई दिल्ली: देश की सीमाओं के फॉरवर्ड एरिया में सैन्य बलों को सुविधाओं से लैस करने के लिए भारतीय सेना के युद्धक इंजीनियर्स को नई तकनीक मुहैया कराई जा रही है. ताकि गोला-बारूद के स्टोरेज के लिए सुरंगों का निर्माण और परमाणु शक्तियों से लैस सुविधाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके. इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के एक इवेंट को संबोधित करते हुए इंडियन आर्मी के इंजीनियर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने रविवार को यह जानकारी दी. इस मौके पर उन्हें डिफेंस फोर्सेज और बॉर्डर रोडज ऑर्गेनाइजेशन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए एमिनेंट इंजीनियरिंग पर्सनैलिटी अवार्ड से सम्मानित किया गया.

इस समारोह को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि, कॉम्बैट इंजीनियर सड़क संपर्क को अग्रिम इलाकों तक पहुंचा रहे हैं और स्थानीय गांवों को भी इससे जोड़ा जा रहै, जिन्हें पीएम मोदी के गति शक्ति प्रयासों के साथ हमारी योजना में शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि छोटी सुरंगे बनाना समय की मांग है और सैन्य बलों के लिए गोला-बारूद भंडारण के लिए सुरंगों का निर्माण बड़े स्तर पर किया जा रहा है. वहीं फॉरवर्ड एरिया में परमाणु शक्तियों से लैस केंद्रों का निर्माण भी किया जा रहा है.

इंजीनियर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि, सीमा सड़क संगठन न सिर्फ बॉर्डर पर बल्कि पड़ोसी देशों में भी रणनीतिक सड़क निर्माण में मदद कर रहा है. बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा तैयार सड़क, सुरंग और ब्रिज जैसे निर्माण कार्य देश की रणनीतिक जरुरतों के लिए अहम है.

भारतीय सैन्य बलों के लिए युवा इंजीनियर्स को प्रोत्साहित करने के लिए लेफ्टिनेट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि, आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत हम देश की युवा प्रतिभाओं और इंजीनियर्स को पुणे स्थित कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में इनोवेटिव रिसर्च इंटर्नशिप करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं.

 

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