सिंघु बॉर्डर पर युवक को तालिबानी तरीके से लटकाया

नई दिल्ली. हरियाणा-दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर एक युवक की लाश मिली थी, जिसके हाथ-पैर काटे गए थे. कहा जा रहा था कि युवक को बुरी तरह मारा-पीटा गया था. अब कहा जा रहा है कि मामला गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से जुड़ा हुआ है. युवक की लाश लोहे के बैरिकेड्स से लटकी हुई मिली थी. भारतीय जनता पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों ने घटना की निंदा की है और इसे ‘तालिबानी’ कृत्य बताया है.
सिंघु बॉर्डर पर मारे गए युवक की पहचान लखबीर सिंह के रूप में हुई है. कोंडली थाने के ASI के मुताबिक, सुबह 5 बजे एक सूचना प्राप्त हुई कि किसान आंदोलन में निहंगों ने एक आदमी का हाथ काट दिया और उसको लोहे के एक बैरिकेड पर रस्सी से बांध कर लटका रखा है. सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची. FIR में बताया गया है कि वहां आस पास काफी संख्या में निहंग एकत्रित थे, जिनसे ASI ने पूछताछ करने की कोशिश की तो ना तो किसी ने पूछताछ में सहयोग किया और न मृतक की लाश को उतारने दिया गया. मामले में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 302/34 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पंजाब के बीजेपी नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि युवक को तालिबानी तरीके से लटकाया गया, यह निंदनीय है. इस तरह का दुःसाहस जो लोग करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि अगर किसी ने बेअदबी की है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई हो, मैं और मेरी पार्टी उसकी निंदा करती है. बीजेपी नेता ने बताया कि किसी ने यह अधिकार नहीं दिया कि लोगों में आतंक फैले और साजिश रची जाए.
उन्होंने कहा कि वहां पर किसान जत्थेबंदियों की जिम्मेदारी है और यह दिल दहला देने वाली घटना है. जो लोग वहां पर बैठा रखे हैं, इसका मतलब वे क्रिमिनल हैं. ये किसानों का आंदोलन नहीं ये किसान जत्थेबंदियों का आंदोलन है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसी ने बेअदबी की है, उसकी गहराई से जांच हो और जिसने इस घटना को अंजाम दिया उसकी भी जांच हो कि कौन लोग हैं? सरकार किसानों की सब बातें मानने को तैयार रही है, लेकिन ये जानबूझकर बढ़ावा दे रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि जिस तरह से सिंघु बॉर्डर पर 35 साल के एक व्यक्ति की हत्या हुई है. वो दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे किसानों के मूवमेंट में कमजोरी आएगी. जो भी ज़िम्मेदार हैं, उन्हें गिरफ़्तार करना चाहिए. उन्होंने मामले की गहन जांच की मांग भी की है.
राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने कहा, ‘कहा जा रहा है कि यह गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी का मामला है, लेकिन जिन लोगों ने किया है वह शायद गुरु ग्रंथ साहब के मर्म से अपरिचित हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने त्वरित जांच में सहयोग की बात कही है. इससे किसान आंदोलन का कोई लेना देना नहीं है. उनको बदनाम करने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन सारी कोशिशें नाकामयाब रही हैं. किसान आंदोलन का 11वां महीना है, हम सरकार की हठधर्मिता पर सवाल क्यों नहीं खड़े करते हैं, जो किसान अपना घर छोड़कर वहां पर बैठे हुए हैं, सवाल उनसे किए जा रहे हैं.’
बता दें कि मृतक के पिता का नाम दर्शन सिंह था, लेकिन 6 महीने की उम्र में फूफा हरनाम सिंह ने लखबीर सिंह को गोद ले लिया था. लखबीर सिंह पेशे से मजदूर थे और उनकी उम्र 35-36 साल थी. लखबीर तरन-तारन जिले के चीमा खुर्द गांव के रहने वाले थे. उनके माता-पिता की मौत हो चुकी है. परिवार में अब सिर्फ एक विधवा बहन (राज कौर) है. उनकी पत्नी जसप्रीत कौर साथ में नहीं रहती थी. वह उनके तीन बच्चों को लेकर अलग रहती हैं. इसमें तीन बेटियां शामिल हैं. जिनकी उम्र 8 से 12 साल के बीच है.