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साओ जैसिंटो द्वीप पर लोगों ने किया तिरंगा फहराने का विरोध

पणजी. दक्षिण गोवा के साओ जैसिंटो द्वीप पर तिरंगा फहराने को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. यहां के निवासियों ने कहा कि वे नहीं चाहते कि केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारी वहां झंडा फहराए. लोगों का कहना है कि उन्हें सरकारी अधिकारियों पर विश्वास नहीं है. लिहाजा नौसेना ने यहां राष्ट्रीय ध्वज फहराने का कार्यक्रम रद्द कर दिया है. इस बीच शनिवार की सुबह गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इसे भारत विरोधी गतिविधि करार दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत विरोधी तत्वों के इन प्रयासों से सख्ती से निपटा जाएगा.
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भारतीय नौसेना से अनुरोध किया है कि वो अपने तय कार्यक्रम के हिसाब से वहां झंडा फराए. साथ ही उन्होंने गोवा पुलिस से पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ये दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है कि सेंट जैसिंटो द्वीप पर कुछ व्यक्तियों ने भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नौसेना द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर आपत्ति जताई है. मैं इसकी निंदा करता हूं और कहना चाहता हूं कि मेरी सरकार इस तरह के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेगी.’

एक बयान में नौसेना ने कहा, ‘आजादी का अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, रक्षा मंत्रालय ने 13 से 15 अगस्त, 2021 के बीच देश भर के द्वीपों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की योजना बनाई है. गोवा नौसेना क्षेत्र ने इस पहल के तहत साओ जैसिंटो द्वीप सहित गोवा के बाक़ी द्वीपों का दौरा किया. लेकिन जैसिंटो द्वीप पर इस कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा है क्योंकि यहां के निवासियों ने इसका विरोध किया था. ये पहल देश भर में देशभक्ति की भावना जगाने और आजादी के 75वें वर्ष तक जश्न मनाने के लिए की गई थी.’

क्या कहते हैं लोग?
साओ जैसिंटो में पले-बढ़े डैरेल डिसूजा ने कहा कि द्वीप के लोग हर साल खुद ही परंपरागत रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराते रहे हैं. हालांकि यहां लोग संसद से पारित तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना और बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को लेकर चिंतित हैं और इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इसी के चलते द्वीप पर नौसेना की मौजूदगी ने उनकी चिंता को बढ़ा दिया.

डिसूजा के साथ बातचीत के हवाले से बताया, ‘हम झंडा फहराने के बिल्कुल खिलाफ नहीं हैं. असल में हमने द्वीप पर आए नौसेना के अधिकारियों से कहा वे 15 अगस्त के मौके पर हमारे साथ आकर झंडा फहराए. उन्होंने बताया कि यहां के लोगों और पारंपरिक मछुआरों के बीच चिंता है कि ये राजनीतिक गतिविधियां द्वीप के हितों के खिलाफ होगा. उन्होंने कहा, ‘लोगों को डर है कि बंदरगाह प्रबंधन के तहत लाए जाने के बाद इस द्वीप को सरकारी अफसर अपने अधिकार में लेकर फिर निजी कंपनियों को सौंप देंगे.’

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