सरसो के तेल का दाम रॉकेट की रफ़्तार से बढ़ा
आजकल सरसों के तेल को लेकर मीम ट्रेंड कर रह है। इसमें कहा जा रहा है कि लोग महंगे पेट्रोल-डीजल पर लड़ते रहे और बाजी सरसों का तेल मार गया। यह सिर्फ मीम नहीं बाजार की सच्चाई भी है। एक ओर जहां बीते साल से पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी है, वहीं सरसों के तेल में 11 वर्षों की सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पैक्ड खाद्य तेलों जैसे की मूंगफली, सरसों, वनस्पति, सोया, सूरजमुखी और पाम ऑयल की मासिक औसत खुदरा कीमतें इस महीने एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 26 मई को एक लीटर सरसों तेल का दाम 90 रुपए था। यह आज 200 रुपए के पार पहुंच गया है। बाजार में एक लीटर सरसों के तेल की बॉटल की रिटेल कीमत 214 रुपए है। खुदरा बाजारों में खाद्य तेल की कीमतें पिछले एक हफ्ते में 7-8 परसेंट बढ़ी हैं। कच्ची घानी सरसों तेल कुछ दिन पहले तक 150-155 रुपये लीटर था। अब, यह 160-170 रुपये लीटर है। वहीं, सोयाबीन रिफाइंड ऑयल 160 रुपये लीटर हो गया है। पामोलीन ऑयल 138 रुपये लीटर हो गया है। रिफाइंड ऑयल की कीमतों में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।
बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार पिछले साल भी सरसों की फसल अच्छी रही, लेकिन लॉकडाउन से मार्केट में सरसों की आवक कम हुई। इससे कीमतों में तेजी लगातार बनी है। चूंकि सरसों का तेल एंटीबॉडी है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी खपत ज्यादा बढ़ी। इसके विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला पाम ऑइल है, लेकिन इसका इस्तेमाल बायोफ्यूल में शुरू किया गया। इसी तरह उत्पादक देशों में मौसम खराब होने से सनफ्लावर ऑइल में भी तेजी हुई।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पाम तेल की खुदरा कीमतें सोमवार को 138 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं। बीते 11 साल में यह अब तक का उच्चतम स्तर है। 11 साल पहले अप्रैल 2010 में पाम तेल का औसत मासिक खुदरा भाव सबसे कम था। उस दौरान पाम तेल का खुदरा भाव 49.13 रुपये प्रति किलोग्राम पर था।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक की। इस मीटिंग में उन्होंने राज्यों और व्यवसायों से खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने के लिए हर संभव कदम उठाने को कहा। डिपार्टमेंट की ओर से एक बयान में कहा गया है कि बैठक आयोजित करने की आवश्यकता इसलिए भी महसूस की गई क्योंकि केंद्र पिछले कुछ महीनों के दौरान खाद्य तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि की तुलना में भारत में खाद्य तेल की कीमतों में उससे कई ज्यादा वृद्धि हो रही है जो अधिक चिंता करने वाली बात है। बता दें कि सामान्य तौर पर घरेूल बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें अंतरराट्रीय बाजार जितनी ही होती हैं।