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सबसे दिलचस्प मामला, फंसा इस एमएलए का टिकट !!

लखनऊ – लखनऊ में मोहनलालगंज विधानसभा क्षेत्र से सपा के इकलौते विधायक अम्ब्रीश पुष्कर नामांकन कर जब मंगलवार को कलेक्ट्रेट से लौट रहे थे। उसी समय सपा प्रदेश कार्यालय से पूर्व सांसद सुशीला सरोज हाथ में एक लिफाफा लेकर बाहर निकलती हैं। लिफाफा देख चर्चा शुरू हुई कि इसमें सुशीला सरोज और अम्ब्रीश पुष्कर का भाग्य बंद है।

अम्ब्रीश पुष्कर इससे बेखबर मंगलवार को क्षेत्र में सभाएं करते रहें। बुधवार सुबह उनको प्रदेश कार्यालय से फोन आ गया। बताया गया कि उनकी जगह सुशीला सरोज अब मोहनलालगंज से उम्मीदवार होंगी। मोहनलालगंज की तरह ही मलिहाबाद, कैंट, उत्तर और मध्य विधानसभा सीटों पर घोषित प्रत्याशियों के भविष्य पर बुधवार देर शाम तक तलवार लटकती रही।

राज कुंद्रा कहा -‘मुझे दुख है !!

बलरामपुर हॉस्पिटल का स्थापना दिवस आज केजीएमयू के डाक्टर अब यहां करेंगे ऑपरेशन अब केजीएमयू के डाक्टर बलरामपुर अस्पताल में करेंगे गंभीर मरीजों के ऑपरेशन, मोहनलालगंज क्षेत्र में टिकट काटने की चर्चा के बीच अम्ब्रीश पुष्कर ने समर्थकों के साथ प्रदेश कार्यालय पर डेरा डाल दिया। सपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में जिले की नौ में से केवल एक ही सीट मोहनलालगंज ही जीती थी। अम्ब्रीश पुष्कर इसी सीट से जीते भी थे।

पार्टी ने दोबारा मोहनलालगंज से अम्ब्रीश पुष्कर को टिकट दिया। जबकि सुशीला सरोज को मलिहाबाद से उम्मीदवार बनाया। सुशीला सरोज मिश्रिख के बाद मोहनलालगंज से सपा की सांसद रही हैं। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में वह तीसरे नंबर पर आयी थी। अब विधायक अम्ब्रीश पुष्कर भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में आलाकमान से संपर्क कर विधायक ने अपनी नाराजगी भी जतायी है। लखनऊ विकास प्राधिकरण मोहान रो़ड टाउनशिप में लगाएगा नया ट्रांसमिशन।

सुशीला सरोज के मोहनलालगंज से लड़ने की चर्चा के बीच मलिहाबाद से सुशीला सरोज को बदलकर व्यापारी सोनू कनौजिया को कार्यालय बुलाकर फार्म ए व बी दे दिया गया। पार्टी की ओर से इसकी अधिकारिक सूचना भी नहीं दी गई। लखनऊ कैंट के राजू गांधी को बुधवार शाम तक फार्म एक और बी के लिए रोके रखा गया। यहां से मयंक जोशी को चुनाव लड़ाने की चर्चा कार्यकर्ताओं के बीच चली।लखनऊ मध्य से नामांकन करने जा रहे पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा को भी रोकने के निर्देश दिए गए। लखनऊ उत्तर से पूजा शुक्ला को उम्मीदवार तो बनाया गया लेकिन उनको फार्म ए व बी रोके जाने की चर्चा दिन भर रही। दोपहर बाद पूजा शुक्ला को फार्म ए व बी दिया जा सका। प्रभारी पद्वति याद आयी . पुराने सपा नेताओं ने इस असमंजस पर पुरानी चयन नीति को नजर अंदाज करने का आरोप लगाया।

तक विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग के लिए बाहर से जिले में प्रभारी तैनात होते थे। करीब छह माह पहले प्रभारी आपसी राय से प्रत्याशियों की स्क्रीनिंग कर आलाकमान को उसकी लिस्ट भेजते थे। इस आधार पर ही चुनाव से तीन महीने पहले उम्मीदवारों की घोषणा सपा कर देती थी।

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