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सदन में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश, जाने क्या है जीडीपी का अनुमान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से बजट से एक दिन पहले सोमवार को सदन में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश वित्तीय हालात का लेखा-जोखा सामने रखा। इस दौरान वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 8.5 फीसदी जताया गया है। आइए जानते हैं कि मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कौन-कौन से प्रमुख बिंदुओं पर क्या जानकारी दी गई। सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया कि 2022-23 में चुनौतियों का सामना करने के लिए अर्थव्यवस्था अच्छी तरह से तैयार है।

अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार

आर्थिक गतिविधियां पूर्व-महामारी के स्तर पर पहुंच गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की कमाई में तेजी से सुधार हुआ है ऐसे में सरकार राजकोषीय उपायों की घोषणा कर पाने की स्थिति में है। आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विकास दर 9.2 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अर्थव्यवस्था का अनुमान 8 से 8.5 फीसदी अनुमानित है। इसमें कहा गया कि वित्त वर्ष 2023 में विकास को व्यापक वैक्सीन कवरेज, आपूर्ति-पक्ष सुधार और नियमों में ढील से समर्थन मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग प्रबंधन के बजाय आपूर्ति पक्ष में सुधार हुआ है।

आर्थिक सर्वेक्षण की प्रमुख बातें

अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में सहायता प्रदान करने के लिए वित्तीय प्रणाली के साथ निजी क्षेत्र का निवेश अच्छी स्थिति में रहेगा। अगले वित्त वर्ष में वृद्धि का समर्थन करने के लिए पूंजीगत व्यय में तेजी लाने के लिए निर्यात में मजबूत वृद्धि होगी। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के संकट काल में कृषि क्षेत्र का योगदान सबसे अहम रहा है। इस साल कृषि क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन किया।

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इस आधार पर एग्रिकल्चर सेक्टर के ग्रोथ का अनुमान 3.9 फीसदी और इंडस्ट्रियल सेक्टर में 11.8 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया गया है। चालू वित्त वर्ष के लिए सेवा क्षेत्र के ग्रोथ का अनुमान 8.2 फीसदी तय किया गया है। औद्योगिक क्षेत्र में 2020-21 में निगेटिव (-7 प्रतिशत) ग्रोथ दर्ज की गई थी, सर्विस सेक्टर में पिछले साल यानी 2020-21 में 8.6 परसेंट की गिरावट आई थी। इसके साथ ही आईपीओ का जिक्र करते हुए कहा गया कि 2021 में आईपीओ के जरिए पूर्व के वर्षों की तुलना में ज्यादा रकम जुटाई गई।

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