संसद के शीत सत्र की तैयारी कैबिनेट सचिव ने विधेयकों की तैयारी के लिए लिखा पत्र

नई दिल्ली. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद के शीत सत्र की तैयारियां शुरू कर दी है. इस सत्र में पारित कराए जाने वाले विधेयकों को लेकर सरकार अपनी तैयारी में जुट गई है. हालांकि शीत्र सत्र की तारीखों का ऐलान अभी नहीं किया गया है. बता दें कि संसद का मानसून सत्र बेहद हंगामेदार रहा था और साल 2014 के बाद से किसी सत्र में इतना व्यवधान देखने को मिला था.
कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने पिछले हफ्ते सभी सचिवों को पत्र लिखकर तैयारियां तेज करने को कहा था. संसद का शीत सत्र अक्सर नवंबर के आखिरी सप्ताह या दिसंबर के पहले हफ्ते में शुरू होता है. हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पिछले साल संसद के शीत सत्र का आयोजन नहीं किया गया था.
गौबा ने अपने पत्र में सचिवों से आगामी शीतकालीन सत्र में प्रस्तावित विधायी कार्यों का ‘विस्तृत मूल्यांकन’ करने के लिए कहा है और उसी के मुताबिक समयबद्ध तरीके से सभी कार्रवाई की तैयारी करने को कहा है. उन्होंने विधायी प्रस्तावों की स्थिति की समीक्षा करने के लिए कहा है, जो वर्तमान में विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं, साथ ही नए विधायी कार्यों की भी समीक्षा करने को कहा है, जो आगामी सत्र में पेश किए जाने के लिए प्रस्तावित हैं.
कैबिनेट सचिव ने लिखा, ‘मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने का अनुरोध करता हूं ताकि संसद के आगामी सत्र के लिए विधायी कार्य समयबद्ध तरीके से किया जा सके.’
इस तरह के एडवांस होमवर्क का एक कारण, संसद के मानसून सत्र के दौरान हुआ हंगामा भी हो सकता है. पिछले सत्र में 2014 के बाद सबसे ज्यादा व्यवधान और हंगामा देखने को मिला था. बावजूद इसके सदन में हर रोज विधेयक पास किए गए और 2014 के बाद राज्यसभा में दूसरी बार एक सत्र में सबसे ज्यादा बिल पास किए गए.
कृषि कानून और पेगासस के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा किए गए हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही में 76 घंटे 26 मिनट की बर्बादी हुई. हालांकि इस दौरान ओबीसी आरक्षण पर संवैधानिक संशोधन विधेयक सहित कुल 22 विधेयक सरकार ने संसद में पास कराए.
गौबा ने पत्र में विभिन्न स्तरों पर प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट टाइमलाइन की मांग की है, जैसे कैबिनेट नोट के परीक्षण और जांच, बिल का मसौदा तैयार करना और सदन में पेश किए जाने को लेकर उन्होंने समयसीमा तय करने को कहा है. पत्र में कहा गया है, ‘संसदीय मंत्रालय, कानून मंत्रालय, विधेयक विभाग और अन्य विभागों के साथ सक्रिय सहयोग बेहद जरूरी है.’
गौबा ने सचिवों को विधायी प्रस्तावों पर कैबिनेट के विचार के लिए समय पर नोट जमा करने और नियमों और रेगुलेशन को शीघ्रता से अधिसूचित करके कानूनी प्रावधानों को लागू करने के लिए भी याद दिलाया है.