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शिक्षण संस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं

नई दिल्ली – पिछले कुछ सालों में भारत के शैक्षणिक संस्थान और आनलाइन प्लेटफार्म साइबर अटैक की धमकी का सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं। इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, इंडोनेशिया और ब्राजील के संस्थान साइबर अटैक की धमकी के शिकार हुए हैं। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान डिस्टेंस लर्निंग को अपनाना, शिक्षा का डिजिटलीकरण और आनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों का प्रचलन प्रमुख हैं, जिन्होंने हमले की सतह को और बढ़ा दिया है।

‘साइबर थ्रेट टार्गेटिंग द ग्लोबल एजुकेशन सेक्टर’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि डेटा 2021 की इसी अवधि की तुलना में 2022 के पहले तीन महीनों में वैश्विक शिक्षा क्षेत्र के लिए साइबर खतरों में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। रिपोर्ट को सिंगापुर स्थित एआई-संचालित डिजिटल रिस्क मैनेजमेंट एंटरप्राइज क्लाउडएसईके (CloudSEK) के थ्रेट रिसर्च एंड इंफार्मेशन एनालिटिक्स डिवीजन द्वारा संकलित किया गया है। CloudSEK का XVigil प्लेटफार्म साइबर खतरों, डेटा लीक, ब्रांड खतरों और पहचान की चोरी का पता लगाने के लिए हजारों स्रोतों को खंगालता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल एशिया और प्रशांत क्षेत्र में पाए गए खतरों में से 58 प्रतिशत भारतीय या भारत आधारित शैक्षणिक संस्थानों और आनलाइन प्लेटफार्म पर थे। इंडोनेशिया 10 प्रतिशत साइबर खतरों के लक्ष्य के रूप में दूसरे स्थान पर था। इसमें BYJU पर हुए साइबर अटैक भी शामिल है।

दुनियाभर में अमेरिका दूसरे नंबर सबसे ज्यादा प्रभावित देश

कुल मिलाकर अमेरिका दुनियाभर में दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश था, जिसमें कुल 19 दर्ज घटनाएं थीं, जो उत्तरी अमेरिका में 86 प्रतिशत खतरों के लिए जिम्मेदार थीं। इनमें हावर्ड विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों पर रैंसमवेयर हमले शामिल हैं।

संस्थाओं और संस्थानों की ओर बढ़ रहे हैं साइबर अपराध

क्लाउडसेक (CloudSEK) के प्रिंसिपल थ्रेट रिसर्चर दर्शीत आशारा के मुताबिक आनलाइन और आफलाइन दोनों तरह से बढ़ते वैश्विक शिक्षा और प्रशिक्षण बाजार के 2025 तक 7.3 ट्रिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह आशाजनक दृष्टिकोण शिक्षा प्रौद्योगिकी बाजार के विस्तार, जनसंख्या वृद्धि और विकासशील देशों में बढ़ती डिजिटल पैठ पर आधारित है। इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि साइबर अपराध इस क्षेत्र में संस्थाओं और संस्थानों की ओर बढ़ रहे हैं।

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