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शिक्षक देश विरोधी लेक्‍चर न दे

तिरुवनंतपुरम. केरल की सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने पहले के एक मामले से सबक लेते हुए अपनी फैकल्‍टी और कर्मचारियों से ऐसे किसी भी प्रकार के भड़काऊ बयान या लेक्‍चर देने से परहेज करने के लिए कहा है, जो देश विरोधी और राष्ट्र के हित के खिलाफ हों. रजिस्ट्रार राजेंद्र पिलंकट्टा की ओर से जारी सर्कुलर में यनिवर्सिटी ने इस तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेने वालों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की चेतावनी भी दी है.

यूनिवर्सिटी के सूत्रों ने कहा है कि 2 सितंबर को जारी किया गया यह सर्कुलर अंतरराष्ट्रीय संबंध और राजनीति विभाग में सहायक प्रोफेसर गिल्बर्ट सेबेस्टियन को सस्‍पेंड करने के बाद की कार्यवाही है. 19 अप्रैल को एमए फर्स्‍ट इयर के छात्रों को ‘फासीवाद और नाजीवाद’ पढ़ाते हुए सहायक प्रोफेसर गिल्बर्ट ने कथित तौर पर संघ परिवार संगठनों और मोदी सरकार को फासीवादी बताया था. उन्होंने कथित तौर पर कोरोना वैक्‍सीन के निर्यात के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए इसे गैर-देशभक्ति करार दिया था.

यूनिवर्सिटी ने बाद में एक जांच समिति का गठन किया था और इस पर स्पष्टीकरण मांगा था. गिल्बर्ट को बाद में निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद 10 जून को उनकी ओर से स्‍पष्‍टीकरण देने के प्रस्‍ताव के बाद निलंबन को रद्द कर दिया गया था.

24 जून को यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद की बैठक में गिल्बर्ट के बयानों को देश विरोधी बताया गया था. परिषद के सदस्यों ने कुलपति प्रो. एच वेंकटेशवरलू को एक सर्कलुर जारी करने को कहा था, जिसमें फैकल्‍टी और कर्मचारियों को देश विरोधी बयान या लेक्‍चर देने से बचने के लिए कहने को कहा गया था. 2 सितंबर को इसी निर्देश के मुताबिक इस संबंध में सर्कलुर जारी किया गया.

सूत्रों ने कहा कि गिल्बर्ट ने बाद में परिषद की रिपोर्ट के खिलाफ वाइस चांसलर को लिखा था. उस रिपोर्ट में कहा गया था कि गिल्बर्ट ने खेद जताते हुए एक पत्र दिया था, उन्होंने क्‍लास में किए गए बयानों को वापस ले लिया था और भविष्य में न दोहराने का आश्वासन दिया है.

वीसी को लिखे अपने पत्र में गिल्‍बर्ट ने लिखा है कि उनके निलंबन को वापस लेने के रिपोर्ट गलत थी और उनके लिए यह अस्वीकार्य है. पत्र में उन्‍होंने लिखा है, ‘मैंने पत्र में जो कहा था वह स्पष्ट रूप से एक गैर-स्वीकृति खेद था क्योंकि क्‍लास में मेरे विचारों को दूसरों द्वारा गलत समझा गया है. मैंने जो वापस लिया वह कोई आकस्मिक टिप्पणी थी. चुनाव आयोग की टिप्पणी कि मेरा कक्षा में बयान राष्ट्र-विरोधी था, यह अनुचित और खेदजनक है क्योंकि यह एक निराधार आरोप है.

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