अंतराष्ट्रीय

शारीरिक संपर्कों की सहजता दर्शाने का नया तरीका रंगीन एसेसरीज

वॉशिंगटन: कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के कारण अब सामाजिक गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू हो रही हैं. हालांकि एक-दूसरे से मिलते समय गले लगाने , हाथ मिलाने जैसी पहले के तरीके अब भी सभी लोगों को सहज नहीं लग रहे हैं. ऐसे में शारीरिक संपर्क को लेकर व्‍यक्ति कितना सहज है, यह बतारने के लिए कलर कोडिंग का सहारा लिया जा रहा है. यानि कि रंगीन रिस्‍टबैंड या स्टिकर लगाकर व्‍यक्ति बता सकेगा कि लोग उससे किस तरह मिलें.

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यक्रमों के आयोजक मेहमानों के लिए कलर्ड एसेसरीज का उपयोग कर रहे हैं. इन अलग-अलग रंगों की से पता चलता है कि वह व्‍यक्ति शारीरिक संपर्कों को लेकर किस हद तक सहज है. इतना ही नहीं लाल-पीले और हरे रंग की इन ऐसी एसेसरीज का उपयोग अब वर्कप्‍लेस पर भी होने लगा है. ताकि वहां भी हर व्‍यक्ति इनके जरिए अपनी मर्जी जाहिर कर सके और उसे उसी तरीके से ग्रीट किया जा सके.ये एसेसरीज महामारी के दौरान उपयोग किए जा रहे नए गैजेट्स में से एक हैं क्‍योंकि इनके जरिए लोग आपस में मिलने-जुलने के नए तरीके आजमा रहे हैं. इन एसेसरीज की उपयोगिता को देखते हुए अब पार्टियों के अलावा वर्कप्‍लेस पर भी अपनी सुविधानुसार इन रंगों के रिस्‍टबैंड या स्टिकर्स पहनकर आने के लिए कहा जा रहा है. वहीं इन जगहों पर इन रंगों के कोड को एक प्‍लास्टिक डिस्‍प्‍ले साइन की तरह दिखाया जाता है, जो कि ट्रैफिक लाइट की तरह दिखता है.

लाल – इस कलर के रिस्‍टबैंड पहनने या स्टिकर लगाने का मतलब है कि वह व्‍यक्ति किसी भी तरह का कोई शारीरिक संपर्क नहीं चाहता है. पीला – इस कलर से मतलब है कि मिलते वक्‍त केवल ‘कोहनी’ टकराएं. हरे – इससे मतलब है कि व्‍यक्ति ‘गले मिलने’ के लिए तैयार है.

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