शादी में महिला आईएएस ने तोड़ दी हिंदू संस्कृति की सबसे जरूरी रस्म
नरसिंहपुर: जिले के करेली के पास एक छोटे से गांव जोबा की रहने वाली तपस्या परिहार 2018 बैच की आईएएस हैं. उनकी शादी आईएफएस अफसर गर्वित गंगवार से हुई. ये शादी तब चर्चा में आ गई जब पता चला की हिंदू संस्कृति से की गई इस शादी में सबसे जरूरी रस्म ही पूरी नहीं की गई. हिंदू संस्कृति में कन्यादान का सबसे अहम महत्व होता है पर नरसिंहपुर जिले में पैदा हुई महिला आईएएस अधिकारी ने इन सारे बंधनों को तोड़ते हुए अपनी शादी में कन्यादान की रस्म को ना करवा कर शादी को चर्चाओं में ला खड़ा कर दिया.
इस शादी पर और ज्यादा चर्चा इस कारण हो रही है क्योंकि ये सब घरवालों की और ससुराल वालों की सहमति से हुआ. दरअसल हिंदू मान्यताओं के अनुसार पिता अपनी पुत्री को कन्या के रूप में वर पक्ष को दान करता है. इस रस्म के तहत किए जाने वाले दान को अहम माना जाता है. लेकिन तपस्या का मानना है की बचपन से ही मेरे मन में समाज की इस विचारधारा को लेकर अलग सोच थी कि कैसे कोई मेरा कन्यादान कर सकता है, वह भी मेरी बगैर इच्छा के और यही बात धीरे-धीरे मैंने अपने परिवार से भी कही. समय लगा लेकिन परिवार भी मान गया और वर पक्ष भी इस बात के लिए राजी हो गए कि बगैर कन्यादान किए भी शादी की जा सकती है.
तपस्या का कहना है कि दो परिवार आपस में मिलकर विवाह करते हैं तो फिर बड़ा छोटा या ऊंचा नीचा होना ठीक नहीं. क्यों किसी का दान किया जाए और जब मैं शादी के लिए तैयार हुई तो मैंने भी परिवार के लोगों से चर्चा कर कन्यादान की रस्म को शादी से दूर रखा. वहीं तपस्या के पति आईएफ़एस गर्वित भी बताते हैं कि क्यों किसी लड़की को शादी के बाद पूरी तरह बदलना होता है. चाहे मांग भरने की बात हो या कोई ऐसी परंपरा जो ये सिद्ध करें कि लड़की शादीशुदा है. ऐसी रस्में लड़के के लिए कभी लागू नहीं होती और इस तरह की मान्यताओं को हमें धीरे-धीरे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए. तपस्या के पिता भी शादी से खुश हैं. उनका मानना है कि इस तरह की रस्मों से लड़की को पिता के घर से या उसकी जायजाद से बेदखल करने की साजिश की तरह देखा जाता है.
बता दें ये पूरी शादी वैदिक मंत्रों के साथ और बाकी के सारे रीति रिवाज से संपन्न हुई. बस कन्यादान जैसी रस्म को दूर कर दोनों आईएएस ओर आईएफएस अधिकारियों ने शादी को अनोखा बना दिया और एक मिसाल पेश कर चर्चाओं में ला दिया.