प्रमुख ख़बरेंराष्ट्रीय

शहर की अपेक्षा गांवों में अकेले रहने वाले बुजुर्गों की संख्या अधिक

 

नई दिल्ली। रोजी रोटी और बेहतर शिक्षा की तलाश में युवाओं के शहर की ओर पलायन करने के कारण आज के समय में शहरों की अपेक्षा गांवों में अधिक संख्या में बुजुर्ग एकाकी जीवन बिता रहे हैं। बुजुर्गों के कल्याण के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम और नीतियों को उनके अनुकूल निर्मित करने के उद्देश्य के साथ देश में पहली बार देशव्यापी सर्वेक्षण‘ लाँगिट्यूडिनल एजिंग स्टडी ऑफ इंडिया’ किया गया। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट आज केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने जारी की। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में 60 साल से अधिक आयु के 6.3 प्रतिशत बुजुर्ग अकेले जीवनयापन कर रहे हैं जबकि शहर में एकाकी जीवन जीने वाले बुजुर्ग 4.1 प्रतिशत हैं। शहर में 32.6 प्रतिशत बुजुर्ग अपने बच्चों या अन्य व्यक्तियों के साथ रह रहे हैं जबकि गांवों में 25.6 प्रतिशत अपने बच्चों के साथ रह रहे हैं। अपने परिवार के अलावा अन्य लोगों के साथ जीवन जी रहे बुजुर्ग गांवों में अधिक हैं। गांवों में इस तरह छह प्रतिशत बुजुर्ग रह रहे हैं जबकि शहर में पांच प्रतिशत इस तरह जीवन गुजार रहे हैं। अपनी पत्नी और अन्य लोगों के साथ या पत्नी या अन्य लोगों के साथ गांवों में 21.5 प्रतिशत तथा शहर में 17.5 प्रतिशत बुजुर्ग रह रहे हैं। अपनी पत्नी तथा बच्चों के साथ रहने वाले बुजुर्गों की संख्या शहरों में अपेक्षाकृत अधिक है। गांवों में इस तरह 40.6 प्रतिशत बुजुर्ग रह रहे हैं जबकि शहर में 40.7 प्रतिशत इस तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button