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‘वो झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा’, शायरों का है अंदाज़े-बयां कुछ और…

शायरी हाले दिल बयां करने का एक खूबसूरत ज़रिया है. शेरो-सुख़न (Shayari) की इस दुनिया में हर जज्‍़बात को बेहद ख़ूबसूरती के साथ काग़ज़ पर उकेरा गया है. बात चाहे इश्‍क़ो-मुहब्‍बत (Love) की हो या इंसानी जिंदगी से जुड़े किसी और मसले पर क़लम उठाई गई हो. शायरी में हर जज्‍़बात (Emotion) को ख़ूबसूरती के साथ तवज्‍जो मिली है. यहां दर्द को भी दिलकश अल्‍फ़ाज़ में पिरोया गया है. यही वजह है कि शायरों के कलाम की कशिश दिलों को अपनी ओर खींचती रही है. आज हम शायरों के इसी बेशक़ीमती कलाम से चंद अशआर आपके लिए लेकर हाजिर हुए हैं. शायरों के ऐसे अशआर जिसमें बात ‘सच’ की हो और महबूब की चाहत का जिक्र हो. आप भी इसका लुत्‍़फ़ उठाइए…

मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वो झूट बोलेगा और लाजवाब कर देगा
परवीन शाकिरज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता है
बात सच कहिए मगर यूं कि हक़ीक़त न लगे
फ़ुज़ैल जाफ़री

एक इक बात में सच्चाई है उसकी लेकिन
अपने वादों से मुकर जाने को जी चाहता है
कफ़ील आज़र अमरोहवी

सादिक़ हूं अपने क़ौल का ‘ग़ालिब’ ख़ुदा गवाह
कहता हूं सच कि झूट की आदत नहीं मुझे
मिर्ज़ा ग़ालिब

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे
रौशनी ख़त्म न कर आगे अंधेरा होगा
निदा फ़ाज़ली

जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
बशीर बद्र

झूट बोला है तो क़ाएम भी रहो उस पर ‘ज़फ़र’
आदमी को साहब-ए-किरदार होना चाहिए
ज़फ़र इक़बाल

इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है
अहमद मुश्ताक़

रात को रात कह दिया मैंने
सुनते ही बौखला गई दुनिया
हफ़ीज़ मेरठी

वो कम-सुख़न था मगर ऐसा कम-सुख़न भी न था
कि सच ही बोलता था जब भी बोलता था बहुत
अख़्तर होशियारपुरी (साभार/रेख्‍़ता)

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