वित्तरहित शिक्षकों (शिक्षकों) की सरकारी वेतन पर फैसला जल्द

रांची:वित्तरहित शिक्षा (शिक्षकों) संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधियों की शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से झारखंड विधानसभा के उनके कक्ष में वार्ता हुई। मुख्यमंत्री ने वार्ता के बाद मोर्चा के विभिन्न मांगों को पुराना मामला बताया। साथ ही, अपने सचिव विनय कुजमार चौबे को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया और इसके दस्तावेज देने को कहा।
मार्च 2020 में विधायक दीपिका पांडेय सिंह के अल्पसूचित प्रश्न पर सरकार ने सदन को आश्वस्त किया था कि वित्तरहित इंटरमीडिएट कॉलेज, स्थापना अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और प्रस्वीकृति प्राप्त विद्यालय जिन्हें राज्य सरकार अनुदान देती है, उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर वित्त रहित शिक्षा नीति को समाप्त कर सेवा शर्त नियमावली बनाएगी। साथ ही, सभी वित्त रहित शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की सेवा सरकारी संवर्ग में करते हुए वेतनमान देना चाहती है। मुख्यमंत्री ने सदन को आश्वस्त किया था कि प्रशासनिक आयोग का गठन कर दिया है और इसकी अनुशंसा के आलोक में सरकार वेतन देने पर निर्णय लेगी। मोर्चा के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से सदन में आश्वासन के आलोक में कार्रवाई करने का आग्रह किया। मोर्चा के प्रतिनिधियों ने कहा कि आठ से 10 हजार शिक्षक-कर्मचारी पिछले 20-25 वर्षों से कार्य कर रहे हैं। वार्ता में मौजूद विधायक दीपिका पांडेय सिंह, सरयू राय, विनोद सिंह और अंबा प्रसाद ने वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त कर इनमें कार्यरत शिक्षक-कर्मचारियों को वेतन देने की मांग मुख्यमंत्री से की। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। वार्ता में मोर्चा की ओर से रघुनाथ सिंह, रंजीत मिश्रा, नरोत्तम सिंह, संजय कुमार, मनीष कुमार , डॉ. देवनाथ सिंह, अरविंद सिंह और चंद्रशेखर शामिल थे।