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विजय रथ पर सवार कैबिनेट मंत्री सतीश !!

कानपुर। गंगा तट पर स्थित नजफगढ़ गांव की ऐतिहासिक धरोहरों के साथ महान क्रांतिकारी गणेश शंकर विद्यार्थी की कर्मभूमि और झंडा गीत के रचनाकार श्यामलाल गुप्त पार्षद की जन्मभूमि महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र की बड़ी पहचान है। अंग्रेजों के काल में कानपुर के बजाय कारोबार का केंद्र रहा नजफगढ़ भी यहीं है। नावों और जहाजों के माध्यम से वहां बड़े पैमाने पर कारोबार होता था। अब विकसित हो रहे रूमा और चकेरी औद्योगिक क्षेत्र, डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर के बगल में बन रहा लाजिस्टिक पार्क और प्रस्तावित रिंग रोड इस क्षेत्र की पहचान बनने जा रहे हैं। प्रगति के रास्ते खुलने पर जातियों की राजनीति भी अब प्रभाव खो रही है। हालांकि, यहां कांग्रेस और बसपा अब भी जातीय समीकरणों की संभावना तलाश रही है, इसी हिसाब से प्रत्याशी उतारे हैं।

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बीते सात विधानसभा चुनावों से विजय रथ पर सवार कैबिनेट मंत्री सतीश महाना का यह आठवां चुनावी मोर्चा है। आत्मविश्वास से भरे तजुर्बेकार महाना को घेरने के लिए विपक्षी दल नए चेहरे उतार कर पूरी ताकत झोंक रहे, जिससे उन्हें महाराजपुर विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाने से रोका जाए। इससे पहले 1991 में राम मंदिर आंदोलन की लहर के बूते कैंट सीट से खाता खोलकर वह लगातार पांच बार जीते थे। कभी सरसौल नाम से पहचान रखने वाले महाराजपुर का परिसीमन में भूगोल बदला तो जातीय समीकरणों की राजनीति का भी लगभग अवसान हो गया। अब विकास की अधिक चर्चा होती है।

महाराजपुर सीट पर मतदाता

महिला – 197011
पुरुष – 241638
अन्य – 35
कुल – 438684
ये हैं मैदान में

भाजपा – सतीश महाना

सपा – फतेह बहादुर सिंह गिल
कांग्रेस – कनिष्क पांडेय
बसपा – सुरेंद्र पाल सिंह
2017 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी और पार्टी – मिले वोट

सतीश महाना (भाजपा) – 132,394
मनोज शुक्ला (बसपा) – 40,568
अरुणा तोमर (सपा) – 38,752
राजाराम पाल (कांग्रेस) – 18,697

जो काम कराएगा, उसे ही वोट मिलेगा

ग्रामीण क्षेत्र में जातीय समीकरण की चर्चा पर जवाब मिलता है कि अब तो विकास की बात करो। महाराजपुर बाजार में रामजी की मिठाई की दुकान पर चुनावी चर्चा छेड़ते ही अनिरुद्ध कुशवाहा बोले- जो काम कराएगा, उसे ही वोट मिलेगा। समोसा खा रहे रामअवध ने गांव में कोई काम न होने का जिक्र करते हुए जैसे ही कहा कि उमरना में तो साइकिल दौड़ेगी, वैसे ही अनिरुद्ध का जवाब था कि सतीश महाना के बनवाए पुल और सड़कें नहीं दिखतीं? बोले, गांव के नाली और खड़ंजे के लिए प्रधान है। यहीं खड़े अमौली गांव के अवधेश का दर्द है कि खुला घूमते बेसहारा पशुओं से फसल बचाने में दिन-रात का चैन छिन गया। हालांकि, इसकी किसी को चिंता नहीं, क्योंकि सरकार तो योगी की ही चाहिए।

सरसौल बाजार में बीज भंडार मालिक अजय दत्त कुशवाहा चर्चा छिड़ने पर समझाने लगते हैं कि महाना मजबूत जरूर लग रहे हैं मगर, सपा उनको तगड़ी टक्कर दे रही है। शहर में रामादेवी चौराहा के पास सपा के चुनाव कार्यालय के सामने पान की दुकान पर मिले राकेश गुप्ता ने क्षेत्र में विकास कार्य गिनाते हुए उल्टा सवाल जड़ दिया कि इसके बाद भी महाना का कोई विकल्प है क्या। वहीं, सिद्धनाथ मंदिर के बाहर मिले सुरेंद्र सैनी और अंकित बोले- महाना ने जो विकास कराया, लोग भूलेंगे नहीं। चुनावी चर्चा में भाजपा प्रत्याशी सतीश महाना और सपा के फतेह बहादुर का जिक्र खूब है। वहीं, ब्राह्मण के बाद क्षत्रिय बहुल सीट पर कांग्रेस कनिष्क पांडेय तो बसपा सुरेंद्र पाल सिंह को खड़ा कर जातीय समीकरणों को मथ रही है।

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