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वाराणसी में पीएम मोदी के चार मार्च के रोडशो का रूट !!

वाराणसी में मतदान से ठीक पहले पीएम मोदी चार मार्च को वाराणसी आएंगे। इस दौरान वह करीब छह किलोमीटर लंबा रोड शो करेंगे। पहले तीन मार्च का कार्यक्रम बन रहा था लेकिन इसे चार मार्च कर दिया गया है। तीन मार्च को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वाराणसी में कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगी। जनसभा के अलावा उनका भी रोड शो का कार्यक्रम है।

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पीएम मोदी के चार मार्च के रोडशो का रूट लगभग तय है। वह मलदहिया से काशी विश्वनाथ मंदिर तक रोड शो करेंगे। मलदहिया पर सरदार पटेल की मूर्ति से रोड-शो शुरू होकर लहुराबीर, कबीरचौरा, मैदागिन होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर तक जाएगा। भाजपा ने इसके लिए दोपहर बाद दो बजे से रात आठ बजे के बीच प्रशासन से अनुमति ली है। अगले दिन पांच मार्च को प्रचार का अंतिम दिन होगा। इस दिन भी पीएम मोदी काशी में ही रहेंगे और एक जनसभा को संबोधित करेंगे।

क्या है यहां का समीकरण

वाराणसी जिले में आठ विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में भाजपा गठबंधन ने सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। छह सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी और एक-एक सीट पर ओमप्रकाश की सुभासपा और अनुप्रिया पटेल के अपना दल को जीत मिली थी। इस बार सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल भी सपा के साथ आ गई हैं। ऐसे में सपा-सुभासपा और कृष्णा पटेल वाले अपना दल गठबंधन ने बनारस और उसके आसपास की सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती दे दी है।

इस चुनाव में पीएम मोदी का यह पहला रोड-शो होगा। पीएम मोदी एक हफ्ते में दूसरी बार वाराणसी आएंगे। इससे पहले 27 फरवरी को भी पीएम मोदी यहां आए थे और बूथ लेवल के करीब 20 हजार कार्यकर्ताओं से संवाद करने के साथ ही जनसभा को भी संबोधित किया था। उस दौरान भी पीएम मोदी के काफिले ने पुलिस लाइन से विश्वनाथ मंदिर और वहां से बाबतपुर एयरपोर्ट तक करीब 35 किलोमीटर का सफर तय किया था। उनके काफिले के आगे-आगे भाजपा कार्यकर्ताओं की बाइक रैली से माहौल को भाजपा के पक्ष में बनाने की कोशिश की गई थी।

विश्वनाथ कॉरिडोर वाले शहर दक्षिणी पर सभी का जोर

वैसे तो बनारस की आठों सीटों पर सपा और भाजपा गठबंधन ने जोर लगाया हुआ है लेकिन असली लड़ाई वाराणसी की शहर दक्षिणी सीट पर देखने को मिल रही है। यहां पिछले तीन दशक से बीजेपी कभी नहीं हारी है। पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी इसी दक्षिणी विधानसभा में आता है। भाजपा इस बार काशी के विकास और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को यूपी में ही नहीं पूरे देश में एक मॉडल के रूप में पेश कर रही है। इसलिए यह सीट उसके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

पिछली बार इस सीट पर बीजेपी को सबसे कम वोट मिले थे, जीत का अंतार भी सबसे कम रहा था। उसका कारण कद्दावर नेता और सात बार से लगातार विधायक रहे श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काटकर नीलकंठ तिवारी को उतारना माना गया था। इस बार फिर से नीलकंठ तिवारी ही मैदान में हैं। सपा ने यहां से महामृत्युंजय मंदिर के महंत किशन दीक्षित को उतारकर कड़ी चुनौती पेश कर दी है। पिछली बार नीलकंठ तिवारी को यहां से कांग्रेस के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने टक्कर दी थी। इस बार राजेश मिश्रा को कांग्रेस ने यहां दोबारा न उतारकर कैंट सीट पर भेज दिया है। इससे भाजपा के खिलाफ पड़ने वाला वोट बंटने की संभावना भी कम हो गई है।

दोनों तरफ से बड़ा संदेश देने की कोशिश

एक तरफ भाजपा दोबारा बनारस की सभी सीटों पर जीत हासिल कर पूरे देश में यह संदेश देना चाहेगी कि यहां के लोग भी बेहद खुश है। दूसरी तरफ सपा यहां से जीत हासिल कर काशी को मॉडल के रूप में पेश करने की भाजपा की रणनीति पर बड़ी चोट करने की कोशिश में है। सपा नेताओं का मानना है कि अगर बनारस की शहर दक्षिणी सीट भी उनके कब्जे में आ गई तो इसका संदेश पूरे देश में जाएगा। यही कारण है कि पीएम मोदी खुद एक हफ्ते में न सिर्फ दूसरी बार यहां प्रचार के लिए आ रहे हैं बल्कि अमित शाह, राजनाथ सिंह से लेकर अन्य नेताओं का दौरा भी लगातार जारी है।

भाजपा के लिए एक अन्य चुनौती कॉरिडोर बनने के कारण विस्थापित हुए परिवार और ऐतिहासिक विश्वनाथ गली के व्यापारियों का आक्रोश भी है। कॉरिडोर बनने से विश्वनाथ गली का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। काफी इलाका तो कॉरिडोर में ही समाहित हो गया है। विश्वनाथ गली में पहले गंगा स्नान कर भक्त आते-जाते थे तो व्यापार होता था। अब गंगा से सीधे कॉरिडोर में रास्ता बन जाने से लोगों का आना जाना ही कम हो गया है।

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