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वह बल्लेबाज जो गोल गेंद को पीट-पीटकर चपटी कर देता था

एक ऐसा बल्लेबाज जो गोल गेंद को पीट-पीटकर चपटी कर देता था। एक ऐसा खिलाड़ी जो पिच पर गाना गुनगुनाते हुए गेंदबाजों की लय बिगाड़ देता था। एक ऐसा योद्धा जिसने टेस्ट क्रिकेट की परिभाषा ही बदल कर रख दी। वह जादूगर जिसका खेल तकनीक और परंपरा से ज्यादा शरीर की सहज प्रतिक्रिया से चलता था। एक ऐसा क्रिकेटर जो हमेशा कहता, ‘गेंद का काम है बाउंड्री के पार जाना और मेरा काम है उसे पहुंचाना’। छक्के से शतक, दोहरा शतक यहां तक की तिहरा शतक पूरा करने वाले विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का आज जन्मदिन है। 20 अक्टूबर 1978 को दिल्ली के नजदीक नजफगढ़ में जन्में वीरू आज 41 साल के हो गए।

इस हादसे से दुनिया ने जाना सहवाग का नाम

वीरेंद्र सहवाग
वीरेंद्र सहवाग 

कहते हैं पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं। बात अगस्त 2001 की है। श्रीलंका में त्रिकोणीय सीरीज जारी थी। न्यूजीलैंड के खिलाफ अहम मुकाबले से ठीक पहले  सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर चोटिल हो गए। ऐसे में कोच जॉन राइट के साथ मिलकर कप्तान सौरव गांगुली ने एक दांव खेला। फैसला किया गया कि ओपनिंग एक नए खिलाड़ी से करवाई जाए।

बेहद फिसड्डी रिकॉर्ड वाले इस खिलाड़ी ने तबतक 15 की घटिया औसत से 15 वन-डे में कुल 169 रन ही बनाए थे। न्यूजीलैंड के 264 रन के जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय पारी की पहली ही गेंद पर इस खिलाड़ी ने जबरदस्त चौका जड़ा। जल्द ही यह खिलाड़ी अर्धशतक तक पहुंच गया और देखते ही देखते अपना शतक भी पूरा कर लिया। 

69 गेंदों में 19 चौकों और एक छक्के की मदद से खेली गई इस विस्फोटक पारी ने न सिर्फ भारत को फाइनल में पहुंचाया बल्कि 22 साल के वीरेंद्र सहवाग के रूप में भारतीय क्रिकेट को उसका सबसे विस्फोटक बल्लेबाज भी दे दिया।

खेल में दिखती थी सचिन की झलक

वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर
वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर

2004 में पाकिस्तान के मुल्तान में हो रहे टेस्ट मैच में वे गेंदबाजों की धुनाई कर रहे थे। दूसरे छोर पर खड़े तेंदुलकर लगातार उन्हें समझा रहे थे कि वे तिहरे शतक की ऐतिहासिक उपलब्धि के करीब हैं और थोड़ा संभलकर खेलें, लेकिन 294 के स्कोर पर उन्होंने बल्ला घुमाया और छक्का मारकर तिहरा शतक पूरा किया।

करियर के शुरुआती दौर में सहवाग को दूसरा तेंदुलकर भी कहा जाता था। दूर से देखने पर दोनों की कदकाठी और बल्लेबाजी एक जैसी ही लगती थी। खुद सचिन को भी सहवाग का खेल देखकर सबसे ज्यादा आनंद आता था। कई मौकों पर उन्होंने यह बात कही भी।

अपने करीब डेढ़ दशक लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में सहवाग ने 104 टेस्ट मैच में 23 शतकों के साथ 8586 रन बनाए हैं। इनमें दो तिहरे शतक शामिल हैं और यह उपलब्धि दुनिया में सिर्फ चार बल्लेबाजों के नाम है। आइए आपको बताते हैं सहवाग के उस पहले तिहरे शतक की कहानी जिसके बाद यह ‘नजफगढ़ का नवाब, मुल्तान का सुल्तान कहलाने लगा था।

ऐसे बने मुल्तान के ‘सुल्तान’

सहवाग का तिहरा शतक
सहवाग का तिहरा शतक

मुल्तान की उमस, धूल भरी गर्मी और सपाट विकेट के चलते मैदान में वीरेंद्र सहवाग अपने ही अंदाज में भारतीय पारी की शुरुआत करने पहुंचे। लंच से ठीक मोहम्मद समी के हाथों उनका कैच छूट गया। लंच के बाद सहवाग ने अपना शतक पूरा किया।

104 गेंदों पर चार छक्के और 14 चौकों की मदद से, शोएब अख्तर की गेंद पर जोरदार छक्के की बदौलत सहवाग ने अपना सैकड़ा पूरा किया था। सहवाग तेजी से 190 के पार पहुंच गए थे, महज एक टेस्ट पहले सहवाग मेलबर्न में 195 रन बनाकर आउट हो गए थे, वो भी छक्का लगाने की कोशिश में।

इस बार उनके साथ जोड़ीदार थे सचिन तेंदुलकर, तेंदुलकर ने उन्हें आराम से खेलने की सलाह दी। छक्का लगाने की कोशिश करते ही बल्ले से पीटने की धमकी भी मिल चुकी थी। लिहाजा वीरू दो रन चुराते हुए अपना दोहरा शतक पूरा करते हैं। 20 टेस्ट पुराने और पांच शतक जमा चुके सहवाग का पहला दोहरा शतक था।

खेल के दूसरे दिन यानी 29 मार्च को भी सहवाग का बल्ला उसी रफ्तार से चल रहा था, जैसे पहले दिन। सचिन ने अपना शतक पूरा किया तब तक सहवाग 274 रन तक पहुंच गए। इसके बाद लगातार तीन चौकों की मदद से सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण के 281 रन के पार पहुंच गए। सहवाग भारतीय क्रिकेट इतिहास में तिहरा शतक बनाने वाले पहले भारतीय बनने वाले थे।

सचिन उस वक्त भी विकेट पर सामने मौजूद थे। इससे पहले कि वह वीरू को दोबारा संभलकर खेलने के लिए समझाने आते, सहवाग ने उनसे पहले ही कह दिया था कि अगर सकलैन मुश्ताक गेंदबाजी करने आएगा तो मैं छक्का मारकर तिहरा शतक पूरा करूंगा।

295 रन पर उन्होंने पाकिस्तानी स्पिनर मुश्ताक की गेंद को लॉन्ग ऑफ पर छक्के के लिए बाहर भेजकर इतिहास रच दिया। 25 साल की उम्र में सहवाग ने वो कारनामा कर दिखाया था, जो उस वक्त तक 72 साल के भारतीय टेस्ट इतिहास में नहीं हो पाया था। भारत की ओर से सहवाग ने टेस्ट मैचों में छह दोहरे शतक जमाए. जबकि वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने का करिश्मा भी सहवाग के नाम है।

क्रिकेट के एक युग का अंत

वीरेंद्र सहवाग
वीरेंद्र सहवाग

सहवाग ने जो शतक लगाए हैं उनमें से 75 फीसदी ऐसे हैं जिनमें उनका स्कोर 150 से ज्यादा रहा है। यह सभी दोहरे शतक में भी तब्दील हो सकते थे, लेकिन अगर यह बल्लेबाज रिकॉर्डों की परवाह करता तो सहवाग न होता, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। 

सहवाग ने 251 वनडे मैच खेले और 15 शतकों के साथ 8273 रन बनाए। एकदिवसीय मैचों में उनके नाम एक दोहरा शतक भी दर्ज है और तब यह कारनामा करने वाले वे सिर्फ दूसरे खिलाड़ी थे। टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ ब्रैडमैन और सहवाग ही हैं जो तीन बार 290 के आंकड़े के पार जाने में कामयाब रहे।

अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक ठोकने वाले इस बल्लेबाज गेंद की बखिया उखाड़ने में कोई सानी नहीं था। इस वक्त तक कोई नहीं सोच सकता था कि इस महान खिलाड़ी को मैदान में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच खेल को अलविदा कहने का मौका नहीं मिलेगा।

मगर भारतीय क्रिकेट की बुरी परंपरा से सहवाग भी नहीं बच पाए। 2015 में टीम से बाहर हुए तो फिर वापस ही नहीं आ सके। हैप्पी बर्थडे वीरू अपने दमदार खेल से अरसों तक विश्व क्रिकेट का मनोरंजन करने के लिए।

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