लोजपा में टूट के बाद भाजपा असमंजस में!
पटना । लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में दो गुट बन जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) असमंजस की स्थिति में है। लोजपा के आंतरिक कलह के बाद भाजपा के किसी नेता ने इस मुद्दे पर अब तक खुलकर कोई बयान नहीं दिया है। इस बीच, संभावित केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भले ही दोनों गुट स्थान पाने को बेकरार हों, लेकिन नुमाइंदगी को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं है। भाजपा के असमंजस की स्थिति का सबसे बड़ा कारण वोट बैंक माना जा रहा है। भाजपा के कुछ नेता मानते हैं कि रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा का वोटबैंक चिराग पासवान के साथ ही जुडेगा, लेकिन भाजपा पशुपति पारस गुट को भी नाराज नहीं करना चाहती है। भाजपा जानती है कि लोजपा के दोनों गुट उसी पासवान समाज के वोट बैंक पर दावेदारी ठोंक रही है। भाजपा को इस वोट बैंक का पिछले कुछ चुनाव में फायदा भी मिला है। माना जाता है कि इस खास बिरादरी का बिहार में चार से पांच प्रतिशत वोट हैं। इसी वोट बैंक के जरिए लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान राजनीति में शोहरत पाई थी। भाजपा की नजर इस वोट बैंक पर है, जिसे भाजपा किसी हाल में खोना नहीं चाहती है और इसी वोट बैंक पर लोजपा के दोनों गुट दावा भी कर रहे हैं। पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा ने राजग से अलग हटकर अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी, लेकिन केंद्र में राजग से अलग होने की घोषणा लोजपा ने अब तक नहीं की है। चिराग पासवान अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में कोई बयान नहीं दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में रामविलास पासवान की जगह बहुत पहले से रिक्त है। राजग में लोजपा उसकी स्वाभाविक हकदार है, लेकिन सवाल यह है कि चिराग और पारस गुट में से किसे प्रतिनिधित्व दिया जाए। जमुई के सांसद चिराग पासवान ने मंगलवार को कहा, अगर पार्टी से निष्कासित सांसद पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलती है, तो मैं अदालत जाउंगा। लोजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष मैं हूं। वैसे, भाजपा के नेता इस मामले को लेकर खुलकर बयान नहीं दे रहे हैं। भाजपा के एक नेता कहते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार प्रधानमंत्री का अधिकार है। वे जिसे चाहे रखें। उल्लेखनीय है कि लोजपा में टूट के बाद चिराग पासवान ने जहां पारस सहित पांच सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया, वहीं अलग हुए गुट के अध्यक्ष पारस खुद बन गए।