लोगों में कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए सरकार ने किस तरह बनाई प्लानिंग
भारत में वर्ष 2022 के आखिर तक 80 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए 1.3-1.4 लाख टीकाकरण सेंटर की जरूरत होगी। टीका लगाने के लिए एक लाख हेल्थकेयर स्टाफ और उनकी मदद के लिए दो लाख अतिरिक्त स्टाफ की जरूरत होगी। वैक्सीन की एक खुराक पर प्रशासनिक लागत 100-150 रुपये तक आएगी। इसमें वैक्सीन की कीमत, उसकी ढुलाई और रखरखाव पर आने वाला खर्च शामिल नहीं है। वैक्सीन को लेकर भारत की तैयारी एवं जरूरत को लेकर फिक्की और ईएंडवाई की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। कोरोना पर गठित टास्क फोर्स ने फिक्की से रिपोर्ट तैयार करने को कहा था।
सरकार ने अगले साल अगस्त तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2022 के अंत तक देश के 80 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीकाकरण अभियान को निजी क्षेत्र के सहयोग से आसान बनाया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 40-45 लाख सक्रिय स्वास्थ्यकर्मी हैं। इनमें से 15 लाख डॉक्टर, 15 लाख नर्स और 10-15 लाख फिजियोथेरेपिस्ट, फार्मासिस्ट शामिल इत्यादि हैं। वहीं, सामुदायिक स्तर पर काम करने स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या 20-30 लाख है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निश्चित संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण भी देना होगा।
अलग-अलग रखने होंगे कोरोना और वैक्सीन सेंटर- सरकारी अस्पतालों में कोरोना सेंटर और वैक्सीन सेंटर को अलग-अलग रखना होगा। इसके लिए सरकारी अस्पतालों एवं सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में अलग से वैक्सीन सेंटर खोलने की जरूरत होगी। भारत में 2.5 लाख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं और इनमें से 80-90 फीसद केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इससे ग्रामीण इलाके में वैक्सीन लगाने में मदद मिलेगी। हालांकि, वैक्सीन लगाने के काम में नर्स और फिजिशियन की मदद के लिए अलग से स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत होगी, क्योंकि नियमित स्वास्थ्यकर्मियों को एक साथ टीकाकरण अभियान में नहीं लगाया जा सकता है। देश में 25-30 हजार सरकारी अस्पताल हैं। वहीं, 70 फीसद निजी हेल्थकेयर सेंटर वैक्सीन लगाने में अपने स्टॉफ की सेवा देने के पक्ष में हैं।
कुछ राज्यों में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की कमी – वैक्सीन लगाने के लिए एक लाख स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत होगी, इनमें 60-70 हजार सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के स्वास्थ्यकर्मी हो सकते हैं। लेकिन कुछ राज्यों में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की संख्या कम होने से उन राज्यों में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे राज्यों में बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और असम जैसे राज्य शामिल हैं।