
नई दिल्ली। ऑनलाइन शिक्षा को हर किसी तक पहुंचाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए सरकार की ओर से गठित मंत्रियों के समूह ने सरकार को सुझाव दिया है, कि सभी छात्रों को इससे जोड़ने के लिए जरूरी है, उन्हें लैपटाप, टैबलेट जैसे इलेक्ट्रानिक्स उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए। खासकर सरकारी और निकायों से जुड़े स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को ऐसे सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर दी जानी चाहिए। इसके साथ ही ऑनलाइन शिक्षा को मजबूती देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक एजुकेशन टेक्नॉलाजी फोरम भी गठित करने का सुझाव दिया है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की अध्यक्षता में ई-एजुकेशन को मजबूती देने के लिए गठित मंत्रियों के समूह ने फिलहाल इससे जुड़े कई अहम सुझाव दिए है। मंत्रियों के इस समूह में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रधान के अलावा अर्जुन राम मेघवाल, राव इंद्रजीत सिंह और संजय धोत्रे शामिल थे। मंत्रियों के समूह ने इस दौरान स्कूलों के बंद रहने से लैब के काम- काज न होने की चुनौती को समझा और इस पर काम किया। इसके तहत समूह ने वर्चुअल लैब के सुझाव को अपनाने की सलाह दी है।
मंत्री समूह का मानना है कि छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बेहतर और सही पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराना भी चुनौती है। इसे लेकर तथ्यों को पूरी तरह से जांचने की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही कहा कि बच्चों को इंटरनेट पर फैले फालतू के तथ्यों से बचाने के लिए जरूरी है कि बच्चों को ऐसे इलेक्ट्रानिक उपकरण उपलब्ध कराए जाए, जिससे उन तक सिर्फ बेहतर जानकारी पहुंच सके। इसके साथ ही पूरी ऑनलाइन शिक्षा को तकनीकी रूप से और मजूबत बनाने पर भी जोर दिया है। खासबात यह है कि कमेटी से इससे पहले ई-गर्वनेंस को लेकर भी अपने सुझाव दिए थे।
ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने की संभावनाओं को टटोलने में जुटे मंत्रियों के समूह को वैसे कोरोना संकट काल में ढेर सारी चुनौतियां से रूबरू होना पड़ा है। जिसमें सबसे अहम बड़ी संख्या में छात्रों के पास मोबाइल, लैपटाप या टेलीविजन का न होना था। इसके चलते वह बंद पड़े स्कूलों की ओर से कराई जा रही ऑनलाइन पढ़ाई से पूरी तरह से वंचित थे। यही वजह है कि समूह ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए इंटरनेट और मोबाइल या लैपटाप का होना जरूरी बताया है।