लाशों को दुबारा जिंदा करने का चल रहा प्रयोग

अमेरिका :जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में होती है. अगर भगवान चाहे तो किसी की जान बड़े से बड़े हादसे में बक्श देता है. वरना कई बार सोते हुए इंसान की भी जान चली जाती है. लेकिन इंसान हमेशा से प्रकृति से टक्कर लेता रहा है. इसका खमियाजा भी उसे कई बार भुगतना पड़ चुका है लेकिन अभी भी इंसान ने संभलने का नाम नहीं लिया है. सोशल मीडिया पर अमेरिका के एक ऐसे लैब की तस्वीरें सामने आई है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां लाशों को जिंदा करने का काम चल रहा है.
जी हां, मेडिकल जगत ने समय के साथ काफी तरक्की कर ली है. इसमें कई ऐसी तकनीक आ गई है, जिसके बारे में कुछ समय पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था. लेकिन अब सारी तकनीकों को पीछे छोड़ने वाला एक एक्सपेरिमेंट चर्चा में है. इस तकनीक के जरिये मरे हुए लोग को वापस जिंदा किया जा सकेगा. अगर आपको लग रहा है कि हम मजाक कर रहे हैं तो आप गलत हैं. जी हां, एक ऐसी तकनीक ढूंढी जा रही है जिसके जरिये मर चुके लोगों को वापस जिंदा किया जा सकेगा.
अमेरिका में इस तकनीक को क्रायोनिक्स कहते हैं. एरिजोना में बने एक लैब में इस तकनीक के जरिये जिंदा होने की उम्मीद में कई लाशें स्टोर कर रखी गई हैं. इनमें कई अमीर लोग शामिल हैं, जिन्होंने अपनी मौत से पहले दुबारा जिंदा होने की उम्मीद में अपनी डेड बॉडी लैब के हवाले कर दी थी. इसके बदले उन्होंने लैब को मरने से पहले अच्छी खासी पेमेंट की थी. इन लोगों को दुबारा से जिंदा होने की उम्मीद थी. इसलिए उन्होने अपनी डेड बॉडी को सहेजने के लिए लैब के हवाले कर दिया.
अब बात करते हैं क्रायोनिक्स की. इसमें डेड बॉडी को बेहद ठंडे तापमान में रखा जाता है. इससे मरने के काफी सालों बाद तक बॉडी को कोई नुकसान नहीं होगा. ऐसे में जब कभी भविष्य में जिंदा करने वाली तकनीक आ जाएगी, इन लाशों को दुबारा से जिंदा कर दिया जाएगा. इसी उम्मीद में इन्हें स्टोर किया जा रहा है. इस तकनीक को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है की आज से सौ साल पहले चांद पर जाना नामुमकिन लगता था. लेकिन आज ऐसा हो चुका है. ऐसे में ये उम्मीद करना कि कोई तकनीक मरे हुए को जिन्दा कर देगी, गलत नहीं है.अमेरिका में इस तकनीक को क्रायोनिक्स कहते हैं. एरिजोना में बने एक लैब में इस तकनीक के जरिये जिंदा होने की उम्मीद में कई लाशें स्टोर कर रखी गई हैं. इनमें कई अमीर लोग शामिल हैं, जिन्होंने अपनी मौत से पहले दुबारा जिंदा होने की उम्मीद में अपनी डेड बॉडी लैब के हवाले कर दी थी. इसके बदले उन्होंने लैब को मरने से पहले अच्छी खासी पेमेंट की थी. इन लोगों को दुबारा से जिंदा होने की उम्मीद थी. इसलिए उन्होने अपनी डेड बॉडी को सहेजने के लिए लैब के हवाले कर दिया.
अब बात करते हैं क्रायोनिक्स की. इसमें डेड बॉडी को बेहद ठंडे तापमान में रखा जाता है. इससे मरने के काफी सालों बाद तक बॉडी को कोई नुकसान नहीं होगा. ऐसे में जब कभी भविष्य में जिंदा करने वाली तकनीक आ जाएगी, इन लाशों को दुबारा से जिंदा कर दिया जाएगा. इसी उम्मीद में इन्हें स्टोर किया जा रहा है. इस तकनीक को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है की आज से सौ साल पहले चांद पर जाना नामुमकिन लगता था. लेकिन आज ऐसा हो चुका है. ऐसे में ये उम्मीद करना कि कोई तकनीक मरे हुए को जिन्दा कर देगी, गलत नहीं है.