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लक्ष्मीपति बालाजी: वह गेंदबाज जिसने मुशर्रफ के साथ पाकिस्तानी लड़कियों को भी बनाया दीवाना

लक्ष्मीपति बालाजी यानी वह मुस्कुराता चेहरा, जिसने भारत ही नहीं बल्कि कट्टर दुश्मन समझे जाने वाले पाकिस्तान में भी अपने दीवानों की फौज खड़ी कर दी थी। 2002 में टीम इंडिया में एंट्री हुई। मगर असल पहचान मिली 2004 में, जब लंबे अरसे बाद भारतीय टीम पाकिस्तान दौरे पर गई थी। टूर पर रवाना होने से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने टीम के साथ करीब एक घंटा बिताया। तोहफे में एक बल्ला भी दिया, जिस पर लिखा था- खेल ही नहीं, दिल भी जीतिए-शुभकामनाएं। शायद पीएम की यही बात बालाजी के दिल में घर कर गई।

बालाजी
बालाजी- फोटो : ट्विटर

पांच वन-डे मैच की श्रृंखला 2-2 से बराबरी पर थी। 24 मार्च 2004 को लाहौर में सीरीज का फाइनल खेला जाना था। दोनों ही टीम किसी भी कीमत पर सीरीज अपने नाम करना चाहती थी। पूरा स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। देश-विदेश से लोग क्रिकेट की इस सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता के साक्षी बनने पहुंचे थे। पहले खेलते हुए भारत ने स्कोरबोर्ड पर 293 रन टांग दिए। जवाब में पाकिस्तानी टीम मैदान पर उतरती है, इस दौरान जो हुआ उसे याद कर, इतने साल बाद भी क्रिकेटर्स की हंसी छुट जाती है।

आसान और क्विक आर्म एक्शन के साथ गेंदबाजी करने वाले बालाजी तैयार हो रहे थे। हाथ में गेंद और निशाना स्टंप्स पर। जैसे-जैसे वह अपना रन-अप तेज करते, स्टैंड्स का हल्ला भी तेज हो जाता। उनके एक-एक कदम के साथ यह शोर बढ़ता जा रहा था। मैदान में खड़े फील्डर्स मुस्कुरा रहे थे। अब पूरा स्टेडियम गूंज रहा था, चारों ओर से बस यही आवाज आ रही थी ‘बालाजी जरा धीरे चलो, बिजली खड़ी, यहां बिजली खड़ी’

मैच भारत जीत चुका था। टीम इंडिया ने सीरीज जीती, लेकिन बालाजी तो पूरे पाकिस्तान का दिल चुरा ले गए। पसीने से लथपथ सांवले चेहरे के बीच उनके चमकते दांत जब-जब बिग स्क्रीन पर आते तालियों और सीटियों से पूरा स्टेडियम चहक उठता। दरअसल बचपन में बालाजी के दांतों का ऑपरेशन हुआ था, जिससे उनका चेहरा कुछ इस तरह हो गया जिससे वो हमेशा मुस्कुराते हुए लगते थे।

भारत बनाम पाकिस्तान 2004

इस सीरीज के दौरान अक्सर पाकिस्तान की लड़कियां उन्हें शादी के लिए प्रपोज भी करती दिखती थीं, पोस्टर में अपने दिल का हाल लिखकर लातीं। तमिलनाडु के इस खिलाड़ी ने आखिरी दो मैच में 5 विकेट लिए। इतना ही नहीं तूफानी गेंदबाज शोएब अख्तर की गेंद पर बालाजी का लगाया वो लंबा छक्का, आज भी लोगों को रोमांचित कर देता है।

बालाजी कमबैक के बादशाह थे और फिटनेस उनका सबसे बड़ा दुश्मन। बालाजी ने अपने इंटरनेशनल करियर में महज 43 (30 वन-डे, 8 टेस्ट, 5 टी-20) मैच ही खेले। टेस्ट क्रिकेट जहां उन्होंने सिर्फ दो साल खेला वहीं वनडे टीम में वह अंदर-बहार होते रहे। 2005 में स्ट्रेस फ्रैक्चर की वजह से उन्हें बाहर जाना पड़ा, तीन साल तक एकदम मैदान से बाहर रहे। 2008-09 में एक बार फिर बेहतरीन वापसी की। आईपीएल में गदर मचाया। चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए खेलते हुए किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ 24 रन देकर 5 विकेट लिए जिसमें हैट्रिक भी शामिल थी। बालाजी आईपीएल में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज थे।

आईपीएल में जबरदस्त प्रदर्शन की बदौलत बालाजी को 2012 में वर्ल्ड टी-20 खेलने का मौका मिला, जहां उन्होंने खुद को साबित किया। इस टूर्नामेंट में बालाजी भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज रहे, उन्होंने 9 विकेट हासिल किए। इसी साल उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर से संन्यास ले लिया।

बाउंसर, यॉर्कर जैसे लगभग सभी गेंद फेंकने में माहिर बालाजी का आज जन्मदिन है। 27 सितंबर 1981 को चेन्नई में जन्मा यह खिलाड़ी आज अपना 38वां जन्मदिन मना रहा है। हैप्पी बर्थडे बालाजी….अपने छोटे से करियर में हमें इतनी यादें देने के लिए दिल से शुक्रिया..

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