रेगिस्तान घूमने गई महिला को ऊंटों से हो गया प्रेम

महिला का रेगिस्तान से प्रेम : हर कोई आलीशान जिंदगी जीना चाहता है. सब चाहते हैं कि वह फुल एसी के घर में आरामदायक गद्दों में सोए. हालांकि कुल लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें पहाड़ों और अलग-अलग स्थानों पर घूमना पसंद होता है. ऐसे लोगों के दिमाग में इन नई-नई जगहों की खूबसूरत स्मृतियां घर कर जाती हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक घुमन्तु महिलाके बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें नई-नई जगहों पर घूमना बहुत पसंद था. अजब बात यह है कि एक बार वह घूमने के लिए ऐसी जगह गईं, जो उन्हें इतनी पसंद आई कि हमेशा के लिए वहां बस गईं. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि यह कोई आलीशान जगह नहीं, बल्कि एक रेगिस्तान था.
जर्मनी की रहने वाली उरसुला मूश एक इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट कंपनी की मालकिन थीं. कई सालों पहले वह दुबई का रेगिस्तान घूमने गई थीं. एक आलीशान जिंदगी जीने वाली उरसुला को वो जगह इतनी ज्यादा पसंद आ गई कि अपना सारा घर-बार और आलीशान जीवन छोड़कर वह ऊंटों के साथ रेगिस्तान में जाकर बस गईं. उरसुला मूश ने बताया कि उन्हें दुबई के लोगों से और दुबई की संस्कृति से प्यार हो गया है. यहां तक कि अब वह ऊंटों के बिना अपनी जिंदगी नहीं गुजार सकती हैं. इस वजह से उन्होंने ऊंटों के साथ रहने का निर्णय कर लिया. साल 1998 में उन्होंने जर्मनी स्थित अपना आलीशान घर छोड़कर 3900 मील दूर दुबई आ गईं.
उरसुला मूश को ऊंटों से इतना प्यार हो गया था कि उन्होंने 40 ऊंट भी खरीद लिए. पिछले 23 साल से अब वह अपने इन 40 ऊंटों के साथ दुबई में रहती हैं. ऊंटों के साथ इतने प्यार की वजह से आज लोग उन्हें दुबई की कैमेल क्वीन नाम से बुलाते हैं. उरसुला आज दुबई की फेमस ऊंट मालकिन हैं. उरसुला ने रेगिस्तान में दुबई की कैमेल क्वीननामक फॉर्म की शुरुआत की. ये फार्म ऊंटों समेत कई तरह के जानवरों को पालती है. इसके अलावा ये फॉर्म दुबई का रेगिस्तान घूमने आने वाले पर्यटकों को होटल मुहैया कराती है. आप जानकर हैरान रह जाएंगे की जर्मनी में आलीशान जिंदगी जीने वाली उरसुला आज जहां रहती हैं वहां ना तो लाइट है और ना ही कोई मॉर्डन सुख-सुविधाएं. यहां तक कि जिस जगह वह रहती हैं वहां तुरंत पानी की भी व्यवस्था नहीं हो सकती है.
सबसे अहम बात यह है कि उरसुला दुबई शहर में भी नहीं रहतीं, बल्कि रेगिस्तान के इलाके में रहती हैं. अब वहां के स्थानीय लोग उनके बारे में कहने लगे हैं कि वह रेगिस्तान के मूल निवासी ‘बेदुइन’ लोगों से भी ज्यादा अरबी हैं. उरसुला से बात करने पर वह कहती हैं कि जब 23 साल पहले वह पहली बार दुबई आई थीं तभी उन्हें लग गया था कि यही वह जगह है, जहां वो हमेशा से रहना चाहती थीं.