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रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की तीन बड़ी वजह, हमले की आशंका;

रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की पहली असल वजह क्रीमिया प्रायद्वीप है, जो कभी यूक्रेन का हिस्‍सा हुआ करता था। इसे वर्ष 2014 में रूस ने यूक्रेन से अलग कर दिया था। तभी से इसको लेकर दोनों में जबरदस्‍त तनाव है। यूक्रेन इस क्षेत्र को वापस पाना चाहता है जिसमें सबसे बड़ी बाधा रूस ही है। इस मुद्दे पर अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ हैं तो वहीं रूस अलग-थलग है।

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इस विवाद में दूसरी वजह अब नार्ड स्‍ट्रीम 2 पाइपलाइन भी बन गई है। इसके जरिए रूस जर्मनी समेत यूरोप के अन्‍य देशों को सीधे तेल और गैस सप्‍लाई कर सकेगा। लेक‍िन, इससे यूक्रेन को जबरदस्‍त वित्‍तीय नुकसान उठाना होगा, क्‍योंकि अब तक यूक्रेन के रास्‍ते यूरोप को जाने वाली पाइपलाइन से यूक्रेन को जबरदस्‍त कमाई होती है।

अमेरिका नहीं चाहता है कि जर्मनी नार्ड स्‍ट्रीम को मंजूरी दे। अमेरिका का कहना है कि इससे यूरोप और अधिक रूस पर निर्भर हो जाएगा। जर्मनी की मंजूरी इसलिए बेहद खास है क्‍योंकि यही यूरोप की सबसे ब‍ड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है और रूस की सप्‍लाई अधिकतर जर्मनी को ही होती है।

यूक्रेन और रूस के बीच विवाद की तीसरी वजह यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की मंशा है। अमेरिका भी चाहता है कि यूक्रेन नाटो का सदस्‍य बने। वहीं रूस ने यूक्रेन से इस बाबत लीगल गारंटी तक मांगी है कि वो कभी नाटो का सदस्‍य नहीं बनेगा।

हमले की आशंका

अमेरिका और यूक्रेन को आशंका है कि रूस कभी भी हमला कर सकता है। इस वजह से समूचे यूरोप में हाइ अलर्ट जैसी स्थिति है। यूरोप और अमेरिका के बीच इस तनाव के बाबत कई बार बैठकें हो चुकी हैं। अमेरिका बार-बार यूक्रेन के साथ खड़ा होने और पूरी मदद करने का वादा भी कर चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही साफ कर चुके हैं कि यदि रूस यूक्रेन पर हमला करने की गलती करता है तो उसको जबरदस्‍त आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि वो ये भी कह चुके हैं कि किसी भी सूरत में नाटो सैनिकों को यूक्रेन नहीं भेजा जाएगा। रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने अमेरिका और नाटो को सीधेतौर पर चेतावनी दी है कि वो नाटो का विस्‍तार करने के बारे में न सोचे।

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