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रूस और यूक्रेन के बीच आठ घंटे बैठक जाने शांति य युद्ध

नई दिल्ली। दुनिया की निगाहें अब दो सप्ताह बाद बर्लिन में होने वाली बैठक पर टिक गई हैं। इसमें फ्रांस और जर्मनी की अहम भूमिका रही। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए फिलहाल अंत भला तो सब भला का इंतजार है। इन सबके बीच दुनिया के सबसे रहस्यमय, दमदार, कूटनीति में माहिर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दौर में रूस की सेना ने शांति और युद्ध के एक बेजोड़ काकटेल में महारत हासिल कर ली है। यूक्रेन के शहर डोनाबास में सोवियत संघ के विघटन के बाद अलग होने वाले इस शहर में करीब 70 प्रतिशत लोग रूसी भाषा बोलते हैं। आठ घंटे की मैराथन बैठक के बाद रूस और यूक्रेन के बीच में थोड़ी शांति की उम्मीद जगी है।

रूस के खतरनाक इरादों को यूरोप और अमेरिकी भी बारीकी

हालांकि क्रीमिया को लेकर यूक्रेन की सीमा पर इस तैनाती को रूस ने अपना रूटीन सैन्य अभ्यास बताया है। लेकिन रूस के खतरनाक इरादों को यूरोप और अमेरिकी भी बारीकी से समझ रहे हैं। यही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की रूसी सेना की बड़ी उपलब्धि है। वह युद्ध जैसा माहौल बनाती है, युद्ध नहीं करती, शांति, स्थायित्व और रूटीन बताकर और युद्ध से मिलने वाले परिणाम को शांति से हासिल कर लेती है। जरूरत पडने पर त्वरित, सटीक, आक्रामक सैन्य कार्रवाई से लक्ष्य साध लेती है। शांति और युद्ध के इस खेल में रूसी को कूटनीतिक महारत हासिल है। इसी से यूक्रेन, यूरोप (खासकर ब्रिटेन) और अमेरिका के माथे पर बल है।

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37-38 फीसदी की आबादी कट्टर रूसी समर्थकों की है। यूक्रेन की राजधानी कीव को हमेशा डोनबास में रूस का परोक्ष दखल सताता रहता है। कीव को क्रीमिया का दर्द इतनी आसानी से कैसे भूलेगा। क्रीमिया को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस में मिला लिया था। क्रीमिया में बहुसंख्यक रूसी बोलने वाले थे। शांति और युद्ध के बेजोड़ काकटेल के जरिए बिना किसी बड़े युद्ध या खून-खराबे के क्रीमिया को रूस का हिस्सा बना लिया। 9 मार्च 2015 को रूस के राष्ट्रपति ने क्रीमिया को रूस में मिलाने के आदेश की जानकारी देने के साथ सबको चौंका दिया।

37-38 फीसदी की आबादी कट्टर रूसी समर्थकों की है

नाटो के कंधे पर सिर रखने और यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद भी यूक्रेन यहां यूरोप और अमेरिका के भरोसे में मात खा गया। यूक्रेन के ताजा संकट को इसी नजरिए से फिर देखा जा रहा है। यूक्रेन की सीमा पर रूस ने भारी हथियारों के साथ घेराबंदी कर रखी है। हालांकि अपनी फ्रंट लाइन इंफैट्री और लड़ाकू दस्ते के सैनिकों को अभी वहां से दूर रखा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में बढ़ रहे नाटो देशों के प्रभाव और यूरोपीय दखल को रोकने की परोक्ष चेतावनी काफी पहले से दे रखी है। इसकी तीव्रता को उन्होंने पिछले कुछ महीने से न केवल बढ़ा रखा है, बल्कि अंजाम भुगतने की धमकी तक दे चुके हैं।

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