50 रुपये की रिश्वत लेने पर दी गई थी जबरन रिटायरमेंट !!

बेंगलुरू – कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी को 50 रुपये रिश्वत लेने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा देने वाले अनुशासनात्मक प्राधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया है। जानकारी के अनुसार, एक सरकारी कर्मचारी को 50 रुपये रिश्वत लेने पर सेवानिवृत्ति की सजा दी गई थी। न्यायमूर्ति डी.जी. पंडित और न्यायमूर्ति अनंत रामनाथ हेगड़े ने सोमवार को यह आदेश दिया। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कर्मचारी पर लगाया गया दंड अपराध की प्रकृति और गंभीरता के लिए चौंकाने वाला था।
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दरअसल, याचिकाकर्ता एम.एस. कडाकोल ने 2004 में जारी आदेश को चुनौती दी थी। पीठ ने मामले को अनुशासनात्मक समिति को वापस भेज दिया है, और दो महीने की अवधि के भीतर सजा का उचित आदेश पारित करने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने धारावाड़ से ब्यादगी स्थानांतरित किए गए एक सरकारी कर्मचारी चंद्रचारी के सेवा रिकार्ड को भेजने के लिए 150 रुपये की रिश्वत मांगी थी। हालांकि, बाद में उसे 50 रुपये की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त के अधिकारियों ने पकड़ लिया था। याचिकाकर्ता पैसे को मोजे में छिपा रहा था। लोकायुक्त पुलिस ने उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13 (1), 13 (2) के तहत शिकायत दर्ज की थी।लेकिन, बाद में विभागीय जांच की गई और 7 सितंबर 2004 को अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा दी। कर्नाटक प्रशासनिक न्यायाधिकरण (केएटी) ने भी सजा आदेश पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता कडाकोल ने इस संबंध में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।