राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दान किए 500 पाइप!

इंदिरा गांधी और प्रणब मुखर्जी के बीच के अटूट रिश्ते को याद करते हुए घोषाल कहते हैं कि इंदिरा गांधी कहती थी कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कितनी शिद्दत से कोशिश करता है, वह प्रणब के मुंह से एक शब्द भी बाहर नहीं निकलवा सकता। वे सिर्फ प्रणब की पाइप से आता हुआ धुआं देख सकते हैं। कहा जाता है कि धूम्रपान छोड़ने के बाद भी मुखर्जी का अपनी पाइप के प्रति लगाव कम नहीं हुआ। उन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी, हमेशा सिर्फ पाइप ही लेते थे।
लेकिन स्वास्थ्य कारणों से जब उनसे धूम्रपान छोड़ने के लिए कहा गया, तो उसके बाद से वह धूम्रपान भले ही नहीं किए लेकिन बिना किसी निकोटिन के अपने मुंह में पाइप रखते थे और उसे चबाते रहते थे ताकि उसे महसूस कर सकें। विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी हस्तियों से तोहफे में मुखर्जी को 500 से ज्यादा पाइप मिली थीं, जिसे उन्होंने राष्ट्रपति भवन संग्रहालय को दान दे दिया।