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यूपी के 650 इंस्पेक्टरों के डिप्टी एसपी बनने का रास्ता साफ : Good News
इलाहाबाद.एक्स कैडर से रेग्युलर कैडर में पहुंचे सूबे के 650 पुलिस इंस्पेक्टरों के डिप्टी एसपी बनने का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में एकल न्यायपीठ द्वारा सात जून को दिए आदेश को कैंसिल कर दिया है। क्या है मामला…
एक्स कैडर के इन सभी निरीक्षकों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला था। इसके बाद शासन ने एक निर्णय लेकर सभी को एक्स कैडर से रेग्यूलर कैडर में भेज दिया और वरिष्ठता लिस्ट जारी करते हुए प्रमोशन देने का निर्णय लिया था। इस प्रकरण में हाईकोर्ट की इलाहाबाद और लखनऊ पीठ में कई याचिकाएं दाखिल हो गई हैं। इन याचिकाओं पर अलग-अलग आदेश पारित हुए, जिसे कमल सिंह यादव ने विशेष अपील में चुनौती दी थी।
क्या कहना था याची के वकील का
याची के वकील का कहना था कि 23 जुलाई 2015 को सरकार ने शासनादेश जारी कर आउट आफ टर्न प्रमोशन पाए पुलिस कर्मियों को एक्स कैडर से रेग्युलर कैडर में समायोजित करने का निर्णय लिया। इसके बाद 24 फरवरी 2016 को पुलिस निरीक्षकों की अंतिम वरिष्ठता लिस्ट जारी कर दी गई। इस लिस्ट को गजेंद्र सिंह ने इलाहाबाद में याचिका दाखिल कर चुनौती दी।
एकल पीठ ने सरकार से मांगा जवाब
एकल पीठ ने सरकार से जवाब मांगते हुए याचिका पर सुनवाई की तारीख 23 जुलाई 2016 को दी थी। इसके बाद लखनऊ खंडपीठ में महेंद्र सिंह यादव और छह अन्य याचिकाएं दाखिल की गई। वहां भी जवाब मांगते हुए कहा गया कि प्रमोशन लिस्ट याचिका पर होने वाले निर्णय के अधीन होगी। एक और याचिका प्रभात त्रिपाठी और 15 अन्य लखनऊ पीठ में दाखिल की गई। इसे भी पूर्व में दाखिल याचिका से संबद्ध कर दिया गया और एकल पीठ ने मामला चीफ जस्टिस को संदर्भित कर दिया, जिससे सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो सके।
गौतमबुद्ध नगर के इंस्पेक्टर ने प्रमोशन लिस्ट को दी चुनौती
इस दौरान गौतमबुद्ध नगर के इंस्पेक्टर अमर सिंह यादव ने लखनऊ पीठ में एक और याचिका दाखिल कर शासनादेश और प्रमोशन लिस्ट को चुनौती दी। एकल पीठ ने 7 जून को इस पर आदेश पारित किया कि रेग्यूलर कैडर के निरीक्षकों को प्रमोशन दे दी जाए और एक्स कैडर से रेग्यूलर कैडर में भेजे गए पुलिस कर्मियों को प्रमोशन न दिया जाए। इस आदेश को निरीक्षक राजेश द्विवेदी, उपेन्द्र सिंह और राजेन्द्र कुमार नागर ने विशेष अपील में चुनौती दी। न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने इस पर सुनवाई की। वकील का कहना था कि एक पीठ ने प्रमोशन को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन किया है, जबकि दूसरी पीठ ने इसे मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष एक साथ सुनवाई के लिए संदर्भित किया है। इस स्थिति में एकलपीठ को इस पर आदेश पारित करने का क्षेत्राधिकार नहीं था। यह भी कहा गया कि समर वैकेशन के दौरान इस मामले में ऐसी कोई जल्दी नहीं थी कि कोई आदेश पारित किया जाए। खंडपीठ ने सात जून 2016 के आदेश को कैंसिल करते हुए विशेष अपील स्वीकार कर ली है।