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यूक्रेन-रूस: चारों तरफ बंदूकें, टैंकर, हथियारों से लदे सैनिक, जाने पूरी खबर

नई दिल्ली।चारों तरफ बंदूकें, टैंकर, हथियारों से लदे सैनिक और अगले पल की प्रतीक्षा में निरंतर भय और अनिश्चितता। दूसरी तरफ हवाईअड्डों की तरफ अपनी अगली उड़ान पकड़ने के लिए दौड़ते भारतीय छात्र और नागरिक। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के खतरे के मद्देनजर भारतीयों को लेकर आ रही ऐसी रिपोर्ट्स चिंता बढ़ा रही है क्योंकि यूक्रेन में रूसी हमले की आशंका गहराती ही जा रही है। इस बीच भारत ने छात्रों से एक बार फिर से अपील की है कि, वे तुरंत यूक्रेन छोड़कर भारत लौटें। भारत की ओर से कहा गया है कि, आनलाइन क्लासों की आधिकारिक घोषणा का इंतजार किए बिना भारतीय छात्र वापस लौटना शुरू करें।

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भारत की ओर से नागरिकों को निकालने के लिए अतिरिक्त उड़ाने भी शुरू की गई हैं। छात्रों को उड़ानों की उपलब्धता से लेकर निकासी विवरण तक की पूरी सहायता मिल रही है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यूक्रेन के साथ भारत के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध है। भारत, यूक्रेन को पहले मान्यता देने वाले देशों में से एक है। इसलिए यहां के निवासियों में भारतीयों के लिए बहुत सम्मान है। भारत ने यहां की राजधानी कीव में अपना दूतावास मई 1992 में खोला गया। वहीं यूक्रेन ने एशिया में अपना पहला मिशन फरवरी 1993 में दिल्ली में खोला। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

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पिछले 25 वर्षों में और 2018-19 में लगभग 2.8 बिलियन अमेरिकी डालर का व्यापार हुआ है। यूक्रेन से भारत में निर्यात की जाने वाली मुख्य वस्तुएं कृषि उत्पाद, प्लास्टिक और पालिमर हैं। कीव खाना पकाने के तेल का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता रहा है पिछले साल भारत में लगभग 74 फीसदी सूरजमुखी तेल की यूक्रेन से हुई थी। जबकि भारत फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, रसायन, खाद्य उत्पादों का आयात करता है। यूक्रेन में कुछ भारतीय समुदाय के लोग हैं जिनमें से ज्यादातर बिजनेसमैन, व्यावसायिक पेशेवर और छात्र हैं। ये पेशेवर फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, इंजीनियरिंग, मेडिकल और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं।

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करीब 20 हजार भारतीय छात्र यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में खासतौर पर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ इंजीनियरिंग की शिक्षा भी हासिल कर रहे हैं। यूक्रेन से प्राप्त एमबीबीएस की डिग्री पूरे भारत में मान्य है। हर साल बड़ी संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाते हैं। मेडिकल शिक्षा यहां सस्ती होने की वजह से यह भारतीय छात्रों की पसंदीदा जगह है। यूक्रेन के शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, यूक्रेन में विदेशी छात्रों में से 24 फीसदी भारत से हैं। 1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता के बाद हजारों की संख्या में भारतीय छात्र यहां मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए आने लगे।

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