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यात्रियों को छोटी उड़ानों में फिर से मिलेगा खाना

 

नई दिल्ली. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सूचित किया है कि एक साल से अधिक समय के बाद, दो घंटे से कम समय की उड़ानों में भोजन परोसना फिर से शुरू किया जा सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि उड़ान में चालक दल के सदस्यों को प्रोटेक्टिव गाउन पहनने की जरूरत नहीं है, लेकिन दस्ताने, मास्क और फेस शील्ड पहनना जारी रखना चाहिए. दरअसल नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मौजूदा नियमों में संशोधन के लिए इनपुट मांगा था, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने उसे यह जानकारी दी.

मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत, एयरलाइनों को उन उड़ानों में भोजन परोसने की अनुमति नहीं है जिनकी अवधि दो घंटे से कम है. यह प्रतिबंध 15 अप्रैल से लागू हुआ था. इसी दिन पिछले साल 25 मई को कोरोनो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बाद घरेलू उड़ान सेवाओं को फिर से शुरू किया गया था, तो मंत्रालय ने एयरलाइंस को कुछ शर्तों के तहत उड़ान में भोजन परोसने की इजाजत दी थी.

पीटीआई सूत्र ने कहा, “कोरोना वायरस के दैनिक मामलों की संख्या में गिरावट के मद्देनजर नागरिक उड्डयन मंत्रालय घरेलू उड़ानों में ऑन-बोर्ड भोजन सेवाओं की समीक्षा कर रहा है और मौजूदा दिशानिर्देशों में संशोधन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से इनपुट मांगा है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब सूचित किया है कि दो घंटे से कम समय की उड़ानों में भोजन परोसना फिर से शुरू किया जा सकता है और चालक दल के सदस्यों को पीपीई किट पहनने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन दस्ताने, मास्क और फेस शील्ड पहनना जारी रखना चाहिए.”

परिवहन, पर्यटन और संस्कृति विभाग से संबंधित स्थायी समिति ने शुक्रवार को “वर्तमान परिदृश्य में नागरिक उड्डयन क्षेत्र को प्रभावित करने वाले मुद्दों” पर चर्चा करने के लिए बैठक की थी. सदस्यों ने विमानन अधिकारियों की बैठक में विमान किराया और मूल्य सीमा से संबंधित कई सवाल पूछे जिनमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव भी शामिल थे. कई सदस्यों ने पूछा था कि उड़ानों पर अभी भी एक पाबंदी क्यों है और उड़ानों का सामान्य कार्यक्रम फिर से कब शुरू होगा.

माना जाता है कि बैठक में नागरिक उड्डयन सचिव राजीव बंसल ने समिति को बताया था कि मूल्य सीमा कोरोना मामलों के उतार-चढ़ाव की वजह से था जो अभी भी लागू है और निकट भविष्य में संबंधित मंत्रालयों द्वारा एक साझा कॉल लिया जाएगा. सदस्यों ने टिकट की ऊंची कीमत और सरकार का इस पर नियंत्रण नहीं होने को लेकर चिंता जाहिर की. मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को बताया कि विमानन ईंधन में वृद्धि सहित कई ऐसे कारक थे जिसके कारण उनके टिकटों की कीमतों में वृद्धि हुई.

 

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