यह इंसान खाता है लकड़ी और घास

शहडोल. शहडोल के करकटी गांव के भूरा यादवजूबा हैं. वो खाने के बजाए पत्तियां और लकड़ी खाते हैं. खाना मिल जाए तो ठीक नहीं मिले तो कोई शिकायत नहीं. जंगल में मवेशी चराने जाते हैं तो उन्हीं के साथ पत्ती लकड़ी खा लेते हैं. भूरा कहते हैं वो कभी बीमार नहीं हुए. लेकिन डॉक्टरों का कहना है ये सिर्फ मनोरोग
पशुओं को घासफूस और पत्तियां खाते तो हम सबने देखा लेकिन इंसान अगर पत्तियां और साथ में लकड़ी भी खाए तो कोई भी कहेगा OMG. शहडोल में एक ऐसा ही इंसान है जो बचपन से पत्तियां और लकड़ी खा रहा है. अब 10 साल से यही उसका भोजन है.
शहडोल जिले के करकटी गांव में अजूबा शख्स है. नाम है भूरा यादव और उम्र होगी करीब 55 साल. भूरा को दिनभर गांव की गलियों में घूमते देखा जा सकता है. गांव के लोगों के लिए वो अब अजूबा नहीं क्योंकि उन्हें तो भूरा को लकड़ी पत्ती खाते देखने की आदत हो गयी है. लेकिन जो भी नया शख्स इन्हें देखता है वो हैरान रह जाता है. एक बार ठिठकता है और फिर रुककर भूरा को देखता है.
खुद भूरा का कहना है कि वो जब बहुत छोटे थे तब खेल खेल में लकड़ी और पत्तियां खा लेते थे. धीरे धीरे उन्हें इसकी आदत पड़ गयी और ये आदत कब लत बन गयी उन्हें भी याद नहीं. आज ये हाल है कि पिछले 10 साल से पत्ती और लकड़ी इनकी रोज की डाइट बन गयी है. वो जब तक पत्तियां और लकड़ी नहीं खाते तब तक उन्हें कुछ कमी सी महसूस होती रहती है.
भूरा अविवाहित हैं. परिवार में चाचा-ताऊ वगैरह हैं उन्हीं के साथ रहते हैं. परिवार बेहद गरीब है. मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालता है. भूरा यादव जब जंगल में मवेशी चराने जाते हैं तो खुद भी वहीं पेड़ों से पत्तियां तोड़कर खा लेते हैं. यूकेलिप्टिस की पत्तियां उन्हें ज्यादा पसंद हैं. उन्हें अगर खाना न भी मिले तो कोई फर्क नहीं पड़ता.
भूरा कहते हैं कि वो पूरी तरह फिट हैं. उन्हें कोई बीमारी नहीं है. न ही लकड़ी और पत्तियां खाने से कभी उनकी तबियत बिगड़ी. भूरा की इस अजब गजब आदत पर डॉक्टरों का कहना है दरअसल ये एक तरह का मानसिक रोग है. भूरा को अब धीरे धीरे लकड़ी और पत्तियां काने की आदत भले ही हो गयी हो लेकिन ये चीजें पचती नहीं हैं. इनसे कोई पोषक तत्व तो मिलते नहीं है बल्कि लकड़ी खाने की वजह से पेट में अल्सर भी हो सकता है.