यहां भगवान को सर्दी से बचाने के लिए पहनाए गए सूट और ओवर कोट
राजस्थान में कड़ाके की सर्दी में सभी का पहनावा, खान-पान और दिनचर्या बदली है और इससे भगवान भी अछूते नहीं हैं। बात झुंझुनू के चिड़ावा की हो रही है। जहां पर नगरदेव कल्याण प्रभू सर्दी के चलते सूट और ओवर कोट में आ गए हैं। वहीं लाडली रानी भी शॉल ओढ लिया है। यही स्थिति बावलिया बाबा की है। बाबा ने सर्दी के चलते रिजाई ओढ ली है।
झुंझुनू के चिड़ावा के कल्याण प्रभु नगर देव होने के साथ साथ नगर सेठ भी कहलाते हैं। कस्बे में कोई भी शुभ कार्य हो। बिना कल्याण प्रभु के दर्शन पूजन के नहीं होता। अब नगर सेठ है तो आप उनके पहनावे और ठाठ-बाठ का भी अंदाजा लगा सकते है। श्री कल्याण प्रभु अब सर्दी के चलते सूट में आ गए है। साथ ही सर्दी अधिक है। इसलिए ओवर कोट भी पहन लिया है। उनकी लाडली रानी ने भी शॉल ओढ लिया हैं।
मंदिर महंत पं. अशोक पुजारी ने बताया कि श्री कल्याण प्रभु के ठाठ में सर्दी में भी कोई कमी नहीं है। दिनभर हीटर की हवा उन्हें सर्दी से दूर रखती है। वहीं सुबह-शाम केसरिया दूध के साथ-साथ बादाम, गर्म केसरिया खीर, बाजरे की खिचड़ी सहित अन्य पकवान अब भोग में लगते है। ऐसा नहीं है कि सर्दी के कारण भगवान का पहनावा ही बदला है। बल्कि अब गर्मी की बजाय भगवान भी थोड़ा देरी से उठने लगे है।
श्री कल्याण प्रभु की पहले सुबह पांच बजे आरती होती थी। तभी उनके पट खोलकर उठाया जाता था, लेकिन अब यह समय साढ़े पांच बजे का कर दिया है। वहीं शाम को भी आरती पहले की बजाय अब जल्दी हो जाती है। ताकि भगवान सर्दी बढे, उससे पहले आराम करने चले जाए। कहते है भगवान सभी की पीड़ा हरते है। सभी के सुखकृदुख में साथी रहते हैं, लेकिन उन्हें भी मौसम के हिसाब से रखना हमारी आस्था को मजबूत करता है।
वहीं भगवान जब आराम से रहे तो हमें जो खुशी मिलती है। वो भी किसी मायने में कम नहीं है। झुंझुनू के चिड़ावा में ही विराजे और शेखावाटी के सांईं के रूप में पहचाने जाने वाले बावलिया बाबा की। बाबा संत है, अघोरी है तो उनका पहनाव भी वैसा ही है। वैसे भी बावलिया बाबा हमेशा एक नीले कपड़े में ही रहे। अब सर्दी के मौसम में उन्हें रिजाई ओढाई गई है। ताकि बाबा को सर्दी ना लगे। इसके अलावा अब उन्हें गरमागरम बड़े का प्रसाद लगाया जाता है।
मंदिर महंत पं. मुकेश पुजारी ने बताया कि गत दिवस ही वे बाबा को गरम कपड़े ओढाने की सोच रहे थे कि एक भक्त ने अचानक आकर उनसे पूछा और तुरंत ही घर पर रिजाई बनाकर, उसमें बूंटी आदि लगाकर उसे सुंदर बनाया और बाबा को ओढाई। इसके अलावा भी बाबा के लिए हीटर आदि की व्यवस्था की गई है। ताकि बाबा को सर्दी ना लगे।