यदि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा तो कौन होगा नेता, कैसे चलेगी सरकार?

नई दिल्ली. अफगानिस्तान पर दूसरी बार कब्जा करने के लिए तालिबान तेजी से राजधानी काबुल की तरफ बढ़ रहा है. आंतकी संगठन काबुल से महज 80 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. शुक्रवार को अशरफ गनी सरकार की तरफ से तालिबान को सत्ता साझा करने का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन प्रस्ताव को धता बताते हुए तालिबान ने अफगानिस्तान के प्रांतों पर बम बरसाना जारी रखा है और शांति वार्ता समिति नया मसौदा तैयार करने में लगी हुई है, जिसमें राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार की पूरी तरह से बेदखली हो सकती है.
अफगानिस्तान में युद्ध विराम के लिए जिस नए फार्मूले पर काम हो रहा है, उसके तहत गनी प्रशासन को पीछे हटना होगा. तालिबान, सेना अधिकारियों और कुछ वर्तमान प्रतिनिधियों के साथ अंतरिम सरकार बनाई जाएगी. तमाम विचार विमर्श के बाद ये फार्मूला सभी संबंधित दलों के साथ साझा किया जाएगा. चूंकि ये अभी प्रारंभिक स्तर पर है इसलिए योजना किसी भी साझेदार के साथ शेयर नहीं की गई है चाहे फिर वो अफगान सरकार हो या फिर तालिबान.
लेकिन सवाल ये है कि अगर तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने में कामयाब हो गया तो फिर क्या होगा? 2001 में अमेरिका द्वारा खदेड़े गए तालिबान का इस वक्त देश के करीब दो तिहाई हिस्से पर कब्जा हो गया है. अगर इस वक्त तालिबान के नेता की बात की जाए तो हैबतुल्ला अखुनजादा के हाथों में आतंकी संगठन की कमान है. संगठन के राजनीतिक, धार्मिक, सैन्य मामलों पर हैबतुल्ला की बात ही आखिरी होती है. 2016 में तालिबान के नेता अख्तर मंसूर के अमेरिकी एयर स्ट्राइक में मारे जाने के बाद संगठन की कमान हैबतुल्ला के हाथों में आई थी.
इसके अलावा अब्दुल गनी बरादर तालिबान के राजनीतिक मामलों का नेता है. तालिबान के लिए अन्य देशों के साथ बातचीत करने का जिम्मा अब्दुल गनी के हाथों में ही है. वहीं तालिबान के सैन्य मामले संगठन के संस्थापक मुल्ला उमर का लड़का याकूब देखता है. ऐसे में अगर तालिबान के हाथों में अफगानिस्तान की सत्ता आती है तो इन तीनों ही नेताओं का महत्वपूर्ण रोल हो सकता है.
अफगानिस्तान में अगली सरकार को लेकर अभी संशय बरकार है. सत्ता साझा करने के फॉर्मूले पर तो तालिबान इंकार कर चुका है. माना जा रहा है कि तालिबान चाहता है कि सबसे पहले अशरफ गनी अपने पद से हट जाएं. अब ये बात आने वाले दिन ही बताएंगे कि अफगानिस्तान की सत्ता में कौन बैठेगा और किसका शासन होगा.